10 साल से मायके में रह रही थी पत्नी, पति को मिला तलाक; हाई कोर्ट ने कहा- यह क्रूरता..
रायपुर । छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक पारिवारिक विवाद में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि अगर पत्नी बिना किसी ठोस वजह के लंबे समय तक पति से अलग रहती है, तो यह पति के प्रति मानसिक क्रूरता है। इसी आधार पर कोर्ट ने एक पति की तलाक की अर्जी मंजूर कर ली है, जिसकी पत्नी पिछले 10 साल से मायके में रह रही थी।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला कोरबा के एक SECL अधिकारी का है, जिसकी शादी 2010 में हुई थी। पति का आरोप है कि शादी के कुछ समय बाद ही पत्नी ने वैवाहिक जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया। वह संयुक्त परिवार से अलग रहने का दबाव बनाने लगी और 2011 में मायके जाकर रहने लगी। पति ने कई बार उसे वापस लाने की कोशिश की, लेकिन पत्नी नहीं मानी। यहां तक कि कोर्ट में अर्जी लगाने के बाद भी वह साथ रहने को तैयार नहीं हुई।
वहीं, पत्नी ने पति और ससुराल वालों पर दहेज उत्पीड़न, मारपीट और ₹5 लाख मांगने का आरोप लगाया था। उसने दहेज प्रताड़ना, घरेलू हिंसा और भरण-पोषण के केस भी दर्ज कराए। हालांकि, 2021 में कोर्ट ने पति और उसके परिवार को सभी आरोपों से बरी कर दिया था।
हाईकोर्ट ने पलटा फैमिली कोर्ट का फैसला..
इससे पहले, कोरबा फैमिली कोर्ट ने 2017 में पति की तलाक की याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट का कहना था कि पति क्रूरता और परित्याग साबित नहीं कर सका। लेकिन, हाईकोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया।
जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने कहा कि दस्तावेजी और मौखिक सबूतों से साफ है कि पत्नी ने बिना वजह के वैवाहिक जीवन से दूरी बनाई। 2011 से लगातार अलग रहना और बार-बार मुकदमे दर्ज कराना पति के लिए मानसिक और शारीरिक क्रूरता के समान है।
कोर्ट ने पति के पक्ष में तलाक का फैसला सुनाते हुए कहा कि चूंकी पति एक अधिकारी है और अच्छा वेतन पाता है, इसलिए उसे अपनी पत्नी और बेटी का पूरा ध्यान रखना होगा। इसी के तहत कोर्ट ने पति को 6 महीने के भीतर पत्नी को एकमुश्त ₹15 लाख का स्थायी गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।
