भूपेश बघेल को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका, जांच को चुनौती देने वाली याचिका खारिज..

नई दिल्ली/रायपुर : छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने केंद्रीय एजेंसियों ED और CBI की जांच को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर सुनवाई से साफ इनकार कर दिया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने उन्हें पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट जाने की सलाह दी है। यह मामला कथित 2,161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले, कोयला घोटाले और महादेव सट्टा ऐप से जुड़ा है।

जांच को चुनौती देने की दलील हुई फेल..

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे ने अपनी याचिका में दावा किया था कि छत्तीसगढ़ सरकार ने सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली थी, इसलिए केंद्रीय एजेंसियों को राज्य में जांच करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने ED और CBI की कार्रवाई को गैरकानूनी बताया था।

सुनवाई के दौरान ED और CBI की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पक्ष रखा, जबकि बघेल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें दीं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि इस मामले को पहले हाईकोर्ट में उठाया जाना चाहिए।

अब सबकी निगाहें जमानत याचिका पर..

यह झटका ऐसे समय आया है जब भूपेश बघेल ने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका भी दायर की है। इस याचिका पर कल, यानी 5 अगस्त 2025 को सुनवाई होनी है। दूसरी ओर, उनके बेटे चैतन्य बघेल को 20 जुलाई 2025 को शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था। चैतन्य ने भी अपनी जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका दावा है कि उनका नाम न तो एफआईआर में है और न ही किसी गवाह के बयान में, और उनकी गिरफ्तारी राजनीतिक बदले की भावना से की गई है।

इस फैसले पर भूपेश बघेल ने निराशा जताई है, लेकिन कहा है कि वे हाईकोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे। वहीं ED और CBI का कहना है कि उनके पास पुख्ता सबूत हैं और जांच पूरी पारदर्शिता के साथ की जा रही है। छत्तीसगढ़ की राजनीति में यह मामला गरमाया हुआ है, और सभी की नजरें अब 5 अगस्त को होने वाली जमानत याचिका की सुनवाई पर टिकी हैं।