

Nine-day ‘struggle’ of students against corruption in Atal University, atmosphere heated up with ‘Dashagatra Mundan’..
बिलासपुर: अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय इन दिनों भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी हुई है, जहां नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के नौ दिनों से जारी उग्र प्रदर्शन ने विश्वविद्यालय प्रशासन की कथित ‘काली करतूतों’ की पोल खोलकर रख दी है। विश्वविद्यालय की सीढ़ियों से लेकर शहर के खास लोगों तक, हर तरफ इस हंगामेदार विरोध की चर्चा है।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय प्रशासन की मिलीभगत से करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार का ‘खेल’ उजागर करने का दावा किया है। उनके गंभीर आरोपों में कुलसचिव की नियुक्ति में धांधली, कुप्रबंधन, टेंडर घोटाला, भर्ती घोटाला, वित्तीय अनियमितताओं और भंडार क्रय नियमों का खुलेआम उल्लंघन शामिल है। छात्रों का इल्जाम है कि प्रशासन छात्रों के गाढ़ी कमाई के पैसों का ‘दुरूपयोग’ कर रहा है और चहेती वेंडर कंपनियों तथा संविदा कर्मचारियों को मनमानी अग्रिम राशि दी जा रही है, जिससे आम लोगों का भरोसा ‘लुटता’ नजर आ रहा है।
शनिवार को छात्रों द्वारा आयोजित “दशगात्र मुंडन” कार्यक्रम ने इस विरोध प्रदर्शन को एक नया और प्रतीकात्मक मोड़ दे दिया। इस मौके पर माहौल ऐसा था जैसे किसी बड़े ‘रण’ की तैयारी हो रही हो। सभी छात्र काले लिबास में एकजुट होकर प्रदर्शन में शामिल हुए, जो उनके विरोध की गंभीरता और एकता को स्पष्ट रूप से दर्शा रहा था। दोपहर बारह बजते ही छात्रों ने जोरदार नारेबाजी और भाषणों से विश्वविद्यालय प्रशासन की कथित ‘बेईमानी’ का पर्दाफाश करना शुरू कर दिया।
छात्र संगठन के मुखिया ने साफ लफ्जों में कहा, “जब तक प्रशासन भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस और ‘कारगर’ कदम नहीं उठाता, हमारा आंदोलन जारी रहेगा। हम तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक एक निष्पक्ष जांच नहीं होती और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती।” उनके इस ऐलान ने पूरे विश्वविद्यालय परिसर में एक ‘तूफान’ ला दिया है।
छात्रों का कहना है कि प्रशासन की इस ‘अव्यवस्था’ के चलते छात्र निधि का जमकर ‘अपव्यय’ हो रहा है, जिससे शिक्षा के भविष्य पर भी एक गहरा ‘धब्बा’ लग रहा है।
अटल यूनिवर्सिटी के आला अधिकारियों पर अब ‘प्रशासनिक बदइंतजामी’ के गंभीर सवाल उठ रहे हैं। आरोपों के मुताबिक, विश्वविद्यालय प्रशासन न केवल छात्रों के कल्याण के लिए अपेक्षित नीतियां बनाने में नाकाम रहा है, बल्कि विभागीय नियुक्तियों, टेंडर के माध्यम से सरकारी धन के ‘गोलमाल’, और कर्मचारियों के प्रमोशन में भी ‘हेरफेर’ किया गया है। इस सनसनीखेज प्रकरण ने पूरे प्रदेश में लोककल्याण के दावों पर भी एक ‘सवालिया निशान’ लगा दिया है।
यह मामला अब सिर्फ अटल यूनिवर्सिटी तक सीमित नहीं रह गया है। पूरे मुल्क में शिक्षा के क्षेत्र में भ्रष्टाचार के खिलाफ गहरी चिंता फैल गई है। जानकारों का मानना है कि अगर इस ‘नापाक’ गठजोड़ को जड़ से खत्म नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में यह शिक्षा के बुनियादी मूल्यों के लिए भी एक बड़ा खतरा बन सकता है। एनएसयूआई का यह ‘जंग’ अब दूसरे विश्वविद्यालयों के लिए भी एक ‘रोशनी’ की तरह है, जहां शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता की मांग तेज हो गई है।
छात्रों की पुरजोर मांग है कि प्रशासन तुरंत एक निष्पक्ष जांच आयोग का गठन करे और बिना किसी ‘लिहाज’ के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। उनका कहना है कि युवाओं का भविष्य दांव पर लगा है और सरकारी पैसे की ‘लूट’ को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। इस आंदोलन से यह साफ हो गया है कि जब तक आवाम के हितों की रक्षा नहीं होती, भ्रष्टाचार के खिलाफ यह ‘जंग’ जारी रहेगा।



