अचानकमार मेरा पहला दशक का विमोचन

बिलासपुर। डीपी विप्र महाविद्यालय प्रशासन समिति के अध्यक्ष श्री अनुराग शुक्ला जी द्वारा लिखित पुस्तक अचानकमार मेरा पहला दशक पुस्तक का विमोचन डॉक्टर सी रहालकर के द्वारा उनके निवास स्थान विद्या नगर में किया गया । श्री शुक्ला जी द्वारा लिखित पुस्तक में अचानकमार के मनोरम नैसर्गिक नैना भी राम सौंदर्य से समृद्ध टाइगर रिजर्व जो की सतपुड़ा के वर्ग किलोमीटर के एक विशाल क्षेत्र में फैले पहाड़ियों के मैकाल श्रृंखला जहां बस शगुन एवं अन्य विशाल वनस्पतियों का समाहित किया हुआ है आपने अपने उद्बोधन में कहा कि बचपन से। आज तक मां जी से जंगलों एवम् वन्य प्राणियों की अनेक कहानियों एवम् घटनाए सुनने मिली । उनका बचपन दुर्ग जिले के डोंडी लोहारा स्टेट से गुजरा था। उनके वन्य जीवन के अनुभव से ही मुझे वन्य प्राणियों को समीप से देखने की उत्सुकता जागृत हुई। 1989 में पहली बार अचानकमार के वनों में फटफटी से अपने मित्र के साथ विचरण करने का अवसर मिला। वह मंत्र मुग्ध करने वाली यात्रा थी। सारी रात्रि हम जागते घूमते रहे।मैं मुंह फाड़े काली अंधेरी रात्रि में स्पॉट लाइट की रोशनी में जंगलों को निहारता रहा। बिलासपुर लौटने के बाद भी मैं अचानकमार के जंगलों में ही खोया रहा। इस अभ्यारण की स्थापना 1975 में वाइल्डलाइफ प्रोटक्शन एक्ट 1972 के तहत की गई 2007 में अचानक मार को बायोस्फीयर घोषित किया गया और 2009 में बाघों की संख्या के लिए अचानक मार अभ्यारण को टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित किया गया अचानक में टाइगर रिजर्व की गिनती देश के 39 टाइगर रिजर्व में होती है यहां बाघ,तेंदुआ, गौर,उड़न गिलहरी, जंगली सूअर, बायसन, चिल्ली दर हिरण, भालू,लकड़बग्घा, सियार, चार मृग, चिंकारा सहित 50 प्रकार के स्तनधारी जीव एवं 200 से भी अधिक विभिन्न प्रजातियों के पक्षी देखे जा सकते हैं। श्री शुक्ला जी की यह पुस्तक अचानक मार के वन्यप्राणियो विहंगम दृश्य और घनघोर वनों पर अधारित सतपुड़ा के माइकल पर्वत श्रृंखला के आस पास विचरण कराती है। लेखक खुद वन्य प्राणी के संबंध में जानकारी रखते है। आपके अपने जीवन के 33वर्ष वन्य प्राणियों के बीच गुजारे है। आप1995 से लगातार नेचर क्लब के एक सक्रिय सदस्य के रूप में वनों के संरक्षण तथा वन्य जीवों के संरक्षण के लिए लगातार कार्य कर रहे हैं। साथ ही साथ आपके द्वारा अपने महाविद्यालय को भी पर्यावरण संरक्षण हेतु दिशा निर्देश देते रहते है। जिसके अंतर्गत लगातार राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक एवं स्वयंसेविकाएं वन्य संरक्षण एवं वन्य जीवों के संरक्षण के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के साथ मिलकर लगातार कार्य करने की प्रेरणा देते रहते है।अंतरराष्ट्रीय संगठन WWF के श्री उपेंद्र दुबे के साथ मिलकर वन्य जीव संरक्षण हेतु लगातार कार्य कर रहे हैं l इस पुस्तक विमोचन समारोह में पर्यावरण प्रेमी नेचर क्लब के डॉ देशकर, श्री प्रथमेश मिश्रा,
श्री नरेंद्र कछवाहा,श्री संजय मिश्रा, श्री सतीश दुबे,श्री सोमावार,डॉ. मनीष तिवारी, डॉ एम.एस.तंबोली, श्री आलोक दुबे, ने इस अवसर पर पुस्तक विमोचन हेतु श्री अनुराग शुक्ला को बधाई प्रेषित की है।