

रायपुर/कांग्रेस नेता मोहम्मद अकबर अभी छत्तीसगढ़ का सबसे चर्चित नाम है।अभी जब वो कवर्धा का चुनाव हारे तो मतगणना स्थल से जनता इनको भगा दी।इसलिए रायपुर आते साथ ही सभी मंत्रियों में वे ही सबसे पहले अपना बंगला ख़ाली किए।क्योंकि उन्हें पता था फिर से भगाया जाएगा।इसलिए पहले ही ख़ाली करके पुँछ बचा लो।ये वही बंगला था जहां से ये पाँच साल तक राजा अकबर के तरह दरबार चलाते रहे।अकबर का यह कहना था कि मेरा तुम छत्तीसगढ़ के डरपोक लोग कुछ नहीं बिगाड़ पाओगे।पर शायद इस बाहरी कट्टर आदमी को पता नहीं था किं छत्तीसगढ़ की जनता सिर्फ़ धान बोना नहीं जानती, धनिया बोना भी जानती है।अब चुकी छत्तीसगढ़ की जनता ने इसकी औक़ात दिखा दी है इसलिए आइये अब अकबर के इतिहास, वर्तमान और भविष्य पर चर्चा करते है।

अकबर का ख़ानदान उत्तरप्रदेश और बिहार में कसाई का काम करते थे।किसी ख़ास मक़सद से ये 1980 के दशक में छत्तीसगढ़ आ गये।धीरे धीरे अपना कारोबार बढ़ाया फिर योजना अनुसार राजनीति में आ गये।इनको कांग्रेस में भूपेश बघेल मिला जो इनकी तरह गुंडई प्रवृत्ति और सड़क छाप था।बस ये भूपेश बघेल जैसा गोबर दिमाग़ का नहीं था।इसलिए मुख्यमंत्री बनने के बाद इन्होंने गोबर बघेल को लालच दे के 4 बड़े मंत्रालय ले लिया।चारों मंत्रालय से ये कई हज़ार करोड़ की संपत्ति बनाया।रायपुर में 2 होटल, सैकड़ो प्लॉट,हाउसिंग बोर्ड के कॉलोनी में बहुत मकान, सिलतरा में कई इंडस्ट्री,हैदराबाद और मुंबई में कई कारोबार, दुबई और कतर में हवाला करके रियल एस्टेट का बड़ा बिज़नेस सेट किया।इसके एवज़ में गोबर बघेल और कांग्रेस को जूठा बराबर पैसा दे देता था और ख़ुद का चुनाव भी इन्ही पैसों से ज़ीतता था। सूत्रों से पता चला है कि अब इन पैसों से अकबर बीजेपी के विधायकों को ख़रीदने का प्लान बना रहा हैं। 54 में से सिर्फ़ 9 कमजोर विधायक को टारगेट फिक्स किया हैं।
बाकि बचे पैसों से ये बाहर से आए रोहिंग्या को पूरे छत्तीसगढ़ में बसाने लगा।इसके देखा देखी बहुत से ज़िलो आदिवासियों की ज़मीन हड़पने की ढेरों शिकायत आने लगी जिसे गोबर बघेल ने दबाने का पूरा प्रयास किया।अकबर के देखा देखी रायपुर से ढेबर और अम्बिकापुर से शफ़ी अहमद जैसे साँप भी पनपने चालू हो गये जिसके चलते इन संभाग में कांग्रेस का इस चुनाव में सफ़ाया हो गया।अकबर के हौसले को देख के हर ज़िले में अकबर पैदा होना चालू हो गये थे जिनके पैर कांग्रेसी नेता धोते थे।
अंत में हिंदू सब एकजुट हुए तब जाकर कवर्धा में इनको करारी शिकस्त मिली।कवर्धा में तो हर एक घर में साधु संत जाके लोगो का आँखें खोले।40 करोड़ खर्च करके अकबर 40 हज़ार वोटो से हार गया।अकबर चुप रहने वालो में से नहीं है।इसके पास इतना पैसा है की ये कांग्रेस पार्टी को 50 साल अकेले फंडिंग कर सकता है।अकबर इतना तानाशाह और ग़ुस्सैल प्रजाति का है की ये ज़रूर बदला लेने का सोचेगा।भिलाई और दुर्ग में तो हाल ही में कुछ आतंकवादी भी पकड़े गये है।संभव है ये भी इस्तेमाल करे इनका।अकबर का अस्साउद्दीन ओवैसी से भी बहुत अच्छा रिश्ता है।अकबर का पूरा ख़ानदन दुबई,क़तर,इराक़ जैसे देशों में बसा है इसलिए ऐसी घटनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता।बीजेपी सरकार को चाहिए कि अकबर को पलट के बदला लेने का मौक़ा ना मिले।इसलिए इसको भी जल्द ही अंजाम तक पहुँचाया जाये।साथ ही इस साँप का साथ देने वाले सभी नेता, व्यवसयी और अधिकारियो को भी छत्तीसगढ़ से भगाया जाये।ये सब अधिक्तर बाहरी लोग हैं।

