
कोटा: ग्रामीण इलाकों में डायरिया और मलेरिया जैसी बीमारियों का प्रकोप फैला होने के बावजूद, जिला के सीएमएचओ कार्यालय में 15 डॉक्टर और कर्मचारी अटैच हैं। इनमें से अधिकांश कर्मचारी लंबे समय से यहां तैनात हैं और इन्हें अपने मूल स्थानों पर जाने के लिए कोई जल्दबाजी नहीं है।
जानकारी के मुताबिक, रतनपुर, आमागोहन, मस्तुरी और बिल्हा जैसे क्षेत्रों के कई स्वास्थ्य केंद्रों पर स्टाफ की भारी कमी है। इन क्षेत्रों में डायरिया और मलेरिया के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन पर्याप्त चिकित्सक और कर्मचारी नहीं होने के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सीएमएचओ कार्यालय में तैनात इन डॉक्टरों और कर्मचारियों में भानू प्रताप राठौर, एस एस सोनी, परमेश्वर तिवारी, शशांक वर्मा, रवि यादव, शिव शंकर डोंगरे, डॉ. श्रीकेश गुप्ता, प्रवीण शर्मा, सौरभ शर्मा, मनहरण लाल टांडे और चित्रलेखा पांडे शामिल हैं।
हालांकि, गुरुवार को कलेक्टर को मौली जेकब और नौसाद को जिला अस्पताल रिलीव करने का प्रस्ताव भेजा गया है। लेकिन यह संख्या काफी कम है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सीएमएचओ कार्यालय में तैनात इन सभी डॉक्टरों और कर्मचारियों को उनके मूल स्थानों पर भेज दिया जाना चाहिए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू रूप से संचालित हो सकें।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही?
इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही साफ तौर पर दिखाई दे रही है। विभाग के अधिकारी इन कर्मचारियों को उनके मूल स्थानों पर जाने के लिए क्यों नहीं कह रहे हैं, यह सवाल स्वाभाविक रूप से उठता है। क्या विभाग के अधिकारियों की इन कर्मचारियों के साथ कोई सांठगांठ है? यह भी एक जांच का विषय है।

स्थानीय लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि इस मामले में तत्काल कार्रवाई की जाए और सीएमएचओ कार्यालय में तैनात सभी डॉक्टरों और कर्मचारियों को उनके मूल स्थानों पर भेजा जाए। साथ ही, उन्होंने यह भी मांग की है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाया जाए।
यह मामला एक बार फिर से स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है। यह भी दर्शाता है कि कैसे कुछ कर्मचारी अपने स्वार्थ के लिए लोगों की जान जोखिम में डाल रहे हैं।

