
बिलासपुर / छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच ने एक महत्वपूर्ण आदेश में करंट से मौत के मामले में मृतक के परिवार को मुआवजे के तौर पर 10 लाख 78 हजार रुपए देने का निर्देश बिजली विभाग को दिया है.. डिवीजन बेंच ने कहा कि, याचिकाकर्ता को केवल इसलिए मुआवजे से वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्होंने समय सीमा के बाद याचिका दायर की थी.. खासकर तब जब बिजली विभाग की ओर से लापरवाही स्पष्ट हो रही है.. मामला बलौदाबाजार का है.. वहां रहने वाला मजदूर हेमंत ध्रुव 22 फरवरी 2014 तड़के करंट दौड़ती बिजली तार के चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हो गया था.. इस घटना के बाद गंभीर रूप से आहत हेमंत को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था.. जहां कुछ दिन इलाज चलने के बाद उसने दम तोड़ दिया.. घटना की रात में घटना स्थल और आसपास के गांव में तेज आंधी वर्षा के कारण बिजली के खंभे टूटकर गिर गया था.. इस दौरान पेड़ की शाखाएं भी टूटकर गिरी हुई थी, तब बिजली के तार में करंट दौड़ रहा था.. इसी के चपेट में हेमंत आ गया था.. इस मामले में मृतक हेमंत के स्वजनों ने वकील के माध्यम से हादसे के तकरीबन पांच साल बाद 2019 में 25 लाख रुपए के मुआवजे का दावा करते हुए ट्रायल कोर्ट में याचिका पेश की थी..
