गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पाय, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए बिलासपुर।गुरु हमारे जीवन में हमें जिंदगी का सार बताते हैं, वे सिखाते हैं कि कैसे हम ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं और इस ज्ञान का कैसे सदुपयोग कर सकते हैं। हमारे जीवन में माता पिता से भी ऊपर गुरू का दर्जा दिया गया है, क्योंकि एक शिक्षक ही होता है, जो एक बच्चें के भविष्य को संवारने और निखारने के कलाकार। एक शिक्षक का मूल उद्देश्य होता है कि _ छात्रों की क्षमताओं को विकसित करना, भौतिक संसाधनों की कमी के बावजूद वह अपनी तर्क बुद्धि और विवेक और सूझ बूझ से अपने छात्रों को प्रोत्साहित कर नए नए कौशल विकास करें। शिक्षकीय जीवन का उद्देश्य रहा हैं कि मैं अपने बच्चों को खेल खेल के माध्यम से उनका सर्वांगीण विकास कर सकूं , जहां तक मुझे अनुभव 18 वर्षों का हैं तो मुझे ज्ञात है कि बच्चों की नींव डालने के लिए हमें उन्हीं के स्तर का बनकर खेल खेल के माध्यम से तैयार किया जाना चाहिए और मैं इन्हीं पर फ़ोकस डालते हुए काम करती हूं , और बेशक मुझे सफलता प्राप्त होती हैं । मेरे जीवन का उद्देश्य रहा है कि मैं समाज में एक अच्छी शिक्षक की भूमिका निभाऊ क्योंकि _एक शिक्षक ही ऐसा व्यक्ति हैं जो पूरे समाज व देश में अच्छे नागरिक बनने और कैरियर, बिजनेस में सफ़ल होने के लिए हमारे जीवन में अहम भूमिका निभाता है। क्योंकि एक शिक्षक ही जानता है कि _विद्यार्थी किसी भी देश का भविष्य हैं और देश के भविष्य का विकास शिक्षकों के हाथ में हैं । असली शिक्षक वही है जो एक दीपक की तरह स्वयं जलकर दूसरो को रौशनी दिखाता है। श्रीमती लक्ष्मी माल्या प्रधान पाठिका शासकीय प्राथमिक शाला बरेली संकुल सीपत


