वर्तमान संदर्भ में शिक्षक की भूमिका और छात्र-छात्राओं को डिप्रेशन से बचाने क्या करें –
बिलासपुर।वर्तमान समय में शिक्षक का जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है अब शिक्षक को केवल पढ़ने पढ़ने के अलावा छात्र-छात्राओं की मानसिक समस्याओं का निराकरण करने के लिए एक आदर्श चिकित्सा की भूमिका भी निभानी पड़ेगी। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो उसको काउंसलर बनना पड़ेगा क्योंकि बहुत सी परेशानियों को छात्र-छात्राएं अपने माता-पिता से शेयर नहीं कर पाते हैं और वह ऐसी समस्याओं के लिए किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश करते हैं जो उनके निकट हो। स्कूल के शिक्षकों को आए दिन टीन एजर्स स्टूडेंट की ऐसी समस्याओं से जूझना पड़ता है। टीनएजर्स स्टूडेंट के बीच ऐसी बहुत सारी मानसिक समस्याएं सामने आती हैं जो शिक्षकों को पता चलती हैं और इन वजह से संबंधित छात्र छात्राओं की पढ़ाई ठीक से नहीं हो पा रही है।
ऐसी स्थिति में जो शिक्षक छात्र-छात्राओं की समय निकालकर काउंसलिंग करते हैं वह काफी लोकप्रिय हो जाते हैं। बच्चों के तनाव को दूर करने के लिए क्लास रूम में शिक्षक को पाठ को सरल ढंग से समझने के लिए थोड़ा बहुत हंसी मजाक और आनंद पूर्ण वातावरण बनाने की कोशिश भी करनी चाहिए। योग और मेडिटेशन के माध्यम से छात्र-छात्राओं को पढ़ाई से जुड़ी कठिनाइयों को दूर करने का संदेश भी देना चाहिए।
संस्कार श्रीवास्तव
सरस्वती शिशु मंदिर तिलकनगर बिलासपुर छत्तीसगढ़


