
बिलासपुर: -शिव अनुराग भवन राजकिशोर नगर में आदिरत्नो की विशेषताओं पर चिंतन चल रहा है। मनमोहिनी दीदी के प्रति मनोहर इंद्रा दादी ने लिखा कि मनमोहिनी दीदी का व्यवहार बहुत सरल था।
यज्ञ व्यवस्था मे सबके विचारों को बहुत महत्व देती थी। वे कहती थी विवेकपूर्ण विचारों को बड़ोे के सामने जरूर कह देना चाहिए, मन मे दबाकर नहीं रखना चाहिए। परमात्मा किसी को भी निमित्त बना सकते है।
*परमात्मा के महावाक्य* पर चिंतन करते मंजू दीदी ने कहा कि आजकल नामरूप मे फसने की बीमारी बहुत फैल रही है। मात्र कुछ समय के मेलजोल के आगे मात पिता को छोड़ देते है। धोखा खाने पर पश्चाताप के अलावा कोई विकल्प नही बचता।
आज की चमक धमक माया के आकर्षण है इसमे फसना नही चाहिए। इससे बचने के लिये एक परमात्मा की याद सदा बुद्धि मे रहे।
बीके मंजू ने कहा कि उदार एवं बड़े दिल वालो के उपर परमात्मा का वरदहस्त सदा रहता है, उनके भंडारे सदा भरपूर रहते है।
परमात्मा को सतगुरु वार का भोग स्वीकार कराया गया तत्पश्चात उन्होंने सभी को भोग वितरण किया।

