


रायपुर / 2 महीने पहले तक कवर्धा पूर्व विधायक मोहम्मद अकबर पैसे और पॉवर के अहंकार में डूबा हुआ था।इसके अहंकार का एक प्रमुख कारण था पैसा और इसको मनचाहा पैसे कमा के देता था वन विभाग का पीसीसीएफ़ श्रीनिवास राव और उसकी दक्षिण भारतीय अफ़सरो की टीम। कैम्पा मद में केंद्र से मिले 5,000 करोड़ को श्रीनिवास राव ने वानिकी कार्य में ना लगा के वनमंत्री मोहम्मद अकबर के चरणों में रख दिया।क्योंकि राव को अकबर ने ही PCCF का पद दिलवाया। जैसा अकबर का मुनीम बोलता था राव वैसा ही करता था।राव के चैम्बर में बैठ के ये मुनीम अपने सारे चेक कटवाते रहा। अकबर मालामाल हुआ। कवर्धा विधानसभा की उसको फ़िक्र नहीं थी क्योंकि वो सोचता था पैसों के बलबूते ये चुनाव जीत जाएगा जैसे छत्तीसगढ़ की जनता तो बस गाय गोबर का काम जानती हो। इसके लिए श्रीनिवास राव और साउथ इंडियन की टीम ने अकेले वनविभाग से 40 करोड़ कवर्धा में बँटवाया।ये सोच के कि अकबर इसको पीसीसीएफ़ बना के रखेगा। बावजूद इसके अकबर चुनाव हार गया।
छत्तीसगढ़ के मंत्री मोहम्मद अकबर पिछले तीन चुनावों से लगातार कांग्रेस से विधायक बनते आ रहे थे।इस बार वे काँग्रेस की भूपेश बघेल सरकार में वन मंत्री थे। दो वर्ष पूर्व छत्तीसगढ़ के कवर्धा में भगवा झंडे को मुसलमानों ने उतार कर जलाया था, जिसका विरोध हिंदू संगठनों ने किया था।
इस चुनाव में पूरे देश से 100 की संख्या में साधु – संत कवर्धा पहुंचे। पिछले एक माह में इन 100 संन्यासियों ने घर-घर जाकर दान के रूप में एक वोट मांगने का काम किया। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म के लिए आपका एक वोट चाहिए।
हमें और कुछ नहीं चाहिए हम अयोध्या से यहां आए हैं, धर्म की रक्षा के लिए..
ये साधु – सन्यासी किसी के घर बिना कुछ खाए-पिए लगातार चलते रहे और प्रत्येक घर का दरवाजा खटखटा कर लोगों से सनातन की रक्षा का वचन लेते रहे।भगवान की कृपा से पूरे कवर्धा में सनातन धर्म का प्रचार प्रचार होने लगा, और यहां से एक युवा नेता विजय शर्मा को भाजपा ने मोहम्मद अकबर के सामने चुनाव में खड़ा किया।बहुत ज्यादा संसाधन का उपयोग भी नहीं करना पड़ा क्योंकि पूरे शहर की जनता हिंदू धर्म की रक्षा के लिए उमड़ पड़ी।चुनाव परिणाम के बाद छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक खुशी का माहौल कवर्धा में देखा गया। 39000 से अधिक वोटों से मोहम्मद अकबर को हार का सामना करना पड़ा। चुनाव परिणाम के बाद जब मतगणना स्थल से मोहम्मद अकबर बाहर निकले तो हजारों की संख्या में भीड़ ने मोहम्मद अकबर वापस जाओ के नारे लगाए और विजय जुलूस के ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किया।
अतः केवल विकास ही नहीं, बल्कि लोगों की भावनाओं को भी अपने पक्ष में किया जाय तो ही चुनाव के मनचाहे परिणाम आते हैं।



