
बिलासपुर। शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे भोग की विधि एवं विधान पर प्रवचन चल रहा है। इस अवसर पर सुश्रीमंजू ने कहा कि अलग-अलग अवसरों पर लगने वाले भोग के पात्र और सामग्री अलग होती है। सभी सेवाकेन्द्रो में गुरूवार को भोग लगाया जाता है इससे सेवाकेन्द्र निर्विघ्न और भरपूर रहता है। भोग की थाली सजाना और परमात्मा को एक एक व्यंजन आग्रहपूर्वक स्वीकार कराना भी कला है। परमात्मा अभोक्ता है पर हमारी भावनाएं उन तक अवश्य पहुँचती है।साथ ही बताया कि अनेक संस्थाए जैसे महर्षि योगी, पातंजलि योगपीठ, गायत्री शक्ति पीठ अपने विशेष योग साधना के अवसर पर बिना लहसुन प्याज के पवित्र भोजन की व्यवस्था करते है।
उन्हों ने कहा कि श्रेष्ठ लक्ष्य प्राप्ति के लिए वैराग्य भाव का होना जरूरी है। परिवर्तन के लिये पुराने संस्कारों सहित देहभान से भी वैराग्य आवश्यक है । परमात्मा कहते है जिस प्रकार जुगनू अंधियारे मे दूर से ही दिखाई देता है उसी प्रकार अशांति के माहौल मे शांति के दाता भी पहचान लिये जायेगे।
कार्यक्रम में दपूम रेलवे बिलासपुर से निजसचिव राजपत्रित अधिकारी पद से सेवानिवृत कृष्ण बारापात्रे ने अपना अनुभव सुनाया जिनका बीके मंजू ने ईश्वरीय सौगात देकर सम्मान किया।

