
बिलासपुर / श्रीमद् भागवत कथा में कथा व्यास पंडित देवनारायण शर्मा ने कहा कि, प्रभु की कृपा के लिए भक्ति की आवश्यकता है। इस दौरान कृष्ण-रुकमणी की सजीव झांकी सजाई गई तथा संगीतमय भजनों पर श्रद्धालु मंत्र मुग्ध होकर जमकर झूमी। उन्होंने बताया कि ग्वाल कृष्ण ने अपने मामा का नहीं बल्कि उसके अहंकार का वध किया। द्वापर युग में जब कंस का अत्याचार बढ़ गए तब भगवान विष्णु ने कृष्णावतार लेकर बड़े-बड़े राक्षसों का वध करने के बाद अंत में पापी कंस का वध कर लोगों को उसके अत्याचारों से छुटकारा दिलाया। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा नरेश के रूप में विराजमान होने के साथ देवी रूकमणी से धूमधाम से विवाह किया। मंच पर जैसे ही श्रीकृष्ण-रूकमणी का प्रार्दूभाव हुआ। श्रीहरि के जयघोष से पूरा पांडाल गूंज उठा। कथा वाचक द्वारा उद्घोषित मंत्रोचार के बीच जैसे ही विवाह का कार्य सम्पन्न हुआ तो श्रद्धालुओं की भीड़ ने पुष्प वर्षा की। पंडाल में मुख्य यजमान सोमनाथ सिंह, कांति, दिलीप सिंह, दमयंती, उमाकांत सिंह, आराधना सहित पूरा जनमानस भाव विभोर होकर झूम उठा। कथा में रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा श्रवण करने पहुंच रहे हैं।


