
बिलासपुर।-छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य परिषद बिलासपुर और बिलासा कला मंच के संयुक्त तत्वाधान में मुंशी प्रेमचंद जी की 144 वीं जयंती मनाई गई।इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ भाषाविद और पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग डॉ विनय कुमार पाठक ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद जी की रचनाएं आम जनमानस में घुली मिली है।अपने आसपास और समाज में घट रही घटनाओं को उन्होंने बेहद सरलता और सटीकता के साथ कहानी और उपन्यासों का स्वरूप देकर साहित्य जगत में अपना नाम अमर कर लिया।विशिष्ट अतिथि के रूप में समन्वय साहित्य परिवार के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ देवधर महंत ने कथाकार मुंशी प्रेमचंद जी के लोकप्रिय कहानियों के बारे में बताते हुए कहा कि इनकी छोटी कहानियाँ आज स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होकर बच्चों को समाज में व्याप्त कुरीतियों से परिचय करा रही है।बिलासा कला मंच के संयोजक रामेश्वर गुप्ता ने प्रेमचंद जी के जब्तशुदा कहानी विचित्र होली का सस्वर वाचन किया जिस पर अपने विचार रखते हुए विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ विजय सिन्हा और गुरुघासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ मुरलीमनोहर सिंह ने कहा कि अंग्रेजों ने भारतीयों को कभी एक नहीं होने दिया, क्योंकि वह जानते थे कि यदि भारतीय किसी आयोजन में एक साथ जुड़ जायें तो उनके लिए खतरा हो सकता है।प्रेमचंद जी की कहानी विचित्र होली इसी ओर इंगित है।होली मनाने के बहाने जुटे भारतीयों की होली अंग्रेज अफसर को शंकित कर जाती है और वह अपने हंटर की शक्ति से होली मनाने वालों को छिन्नभिन्न कर जाते हैं।कार्यक्रम का संचालन करते हुए बिलासा कला मंच के अध्यक्ष महेश श्रीवास ने मंच के संस्थापक डॉ सोमनाथ यादव से सभी अतिथियों का सम्मान कराते हुए उन्हें प्रारंभिक प्रस्तावना रखने हेतु आमंत्रित किए।छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य परिषद बिलासपुर के अध्यक्ष डॉ सुधाकर बिबे ने नगर के सभी गणमान्य साहित्यकारों स्वागत करते हुए उन्हें सरस काव्य गोष्ठी के लिए आमंत्रित किया।इस काव्य गोष्ठी में चंद्रप्रकाश देवरस,राघवेंद्रधर दीवान,राजेन्द्र मौर्य,डॉ जी डी पटेल,डॉ सोमनाथ मुखर्जी,महेन्द्र साहू,सुधीर दत्ता, सतीश पांडेय”उद्यान”,हरबंस शुक्ल,मनोहर दास मानिकपुरी,अंजनी कुमार सुधाकर,नरेंद्र शुक्ल,अशरफी लाल सोनी,देवानन्द दुबे,अश्विनी पांडे,अनूप श्रीवास,बसन्त पांडे ऋतुराज,आनंद प्रकाश गुप्त,विश्वनाथ राव,अमृतलाल पाठक,राकेश खरे,राजेन्द्र रूंगटा,सत्येंद्र तिवारी, संतोष श्रीवास,रामकुमार श्रीवास, चतुरसिंह चंचल,मयंकमणि दुबे,डॉ प्रदीप निरनेजक, शैलेश कुम्भकार,जगतारन डहरे, राकेश पांडे,संजय पांडे,शैलेन्द्र कुशवाहा, दुखभंजन जायसवाल सहित अंचल के साहित्यकार और साहित्य प्रेमियों ने काव्यपाठ का आनंद लिया।आभार प्रदर्शन परिषद के अध्यक्ष डॉ सुधाकर बिबे ने किया।

