
बिलासपुर / शासकीय अधिकारी द्वारा मलाई के लालच में डिफाल्टर ,असक्षम कंपनी और ठेकेदारों को कार्य देने का मामला तो सामने आता रहता है, लेकिन छत्तीसगढ़ के न्यायधानी बिलासपुर में पहली बार महाविद्यालय के अंतर्गत भवन निर्माण में अपात्र ठेकेदार को लाभ पहुंचाने हेतु अधिकारी द्वारा तीन बार टेंडर खोलकर गलत तरीके से काम दिए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है.. वहीं टेंडर में हुए भ्रष्टाचार के साथ-साथ विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले महाविद्यालय में गुणवत्ता हीन निर्माण कार्य किया जा रहा है, अब इस भ्रष्टाचार के उजागर हो जाने के बाद प्रशासन में हड़कंप मचने की संभावना भी है..


बिलासपुर में स्थित दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले महाविद्यालय में भवन निर्माण के कार्य का टेंडर किए जाने के मामले में भ्रष्टाचार किया गया है और उस भ्रष्टाचार की शिकायत भी जो श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय के कुलपति से की गई है.. वही मामला उजागर होने के बाद हड़कंप मच गया है लेकिन अब तक भ्रष्टाचार की मुख्य जड़ सहायक अभियंता उल्लास अरविंद देशमुख पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है..
मामले में शिवम कंस्ट्रक्शन द्वारा दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय के कुलपति को बिलासपुर अंतर्गत महाविद्यालय में भवन निर्माण कार्य के लिए गलत तरीके से ठेका देने और भ्रष्टाचार करने की शिकायत कर कार्रवाई की मांग की गई है.. वही शिवम कंस्ट्रक्शन द्वारा सारे दस्तावेज भी कामधेनु विश्वविद्यालय के कुलपति को प्रेषित किया गया है.. वही शिकायत में सहायक अभियंता उल्लास अरविंद देशमुख द्वारा गलत तरीके से टेंडर अशोक कुमार सिंह मेसर्स के.डी कंस्ट्रक्शन क्रम वार शिकायत की गई है..
शिकायतकर्ता शिवम कंस्ट्रक्शन ने अपने शिकायत में कहा है कि, आपके विभाग द्वारा आमंत्रित संदर्भित निविदा क्रमांक मे 04 ठेकेदारों क्रमशः अशोक कुमार सिंह, मेसर्स के.डी. कंस्ट्रक्सन, मेसर्स शिवम कंस्ट्रक्सन, एवं सालासार एसोसिएट्स के द्वारा भाग लिया गया था। जिसमें निविदा के शर्तो के अनुसार भाग लेने वाले ठेकेदारों के द्वारा ऑनलाईन अपलोडेड दस्तावेजों में निम्न कमिया पाई गई है, जिसका विवरण निम्नानुसार है..



- अशोक कुमार सिंह
(1) चुंकि INTEGRITY PACT विभाग एवं ठेकेदार दो दलों के मध्य एक अखंडता समझौता होता है। जिसमें ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत INTEGRITY PACT में कहीं भी टेंडर नंबर या कार्य का नाम उल्लेख नहीं किया गया है। जबकि INTEGRITY PACT के GENERAL कंडीशन 1.1 में इसका उल्लेख किया जाना होता है।
(2) INTEGRITY PACT में विभाग का नाम एवं अधिकारी का पद का नाम जिसके साथ अनुबंध होता है, उल्लेख नही किया गया है। जबकि INTEGRITY PACT के GENERAL कंडीशन 1.1 में इसका उल्लेख किया जाना होता है ।
(3) INTEGRITY PACT के कंडीशन 6 EARNEST MONEY (SECURITY DEPOSIT) के 6.1 में ई. एम.डी. किस नाम से बना होता है, उल्लेख किया जाना होता है । परन्तु ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत INTEGRITY PACT में उल्लेख नहीं किया गया है।
(4) INTEGRITY PACT के कंडीशन 6 EARNEST MONEY (SECURITY DEPOSIT) के 6.2 में ई. एम. डी. कि राशि एवं ठेकेदार का नाम उल्लेख किया जाना होता है। जो ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत INTEGRITY PACT में दर्शाया नहीं गया है। अतः इससे यह प्रतीत होता है कि प्रस्तुत INTEGRITY PACT का संदर्भित निविदा से कोई संबंध नही है। जो कि पुर्णतः गलत है। (5) ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र में NIT No. का उल्लेख नही किया गया है।
(6) निविदा के शर्तानुसार Online Envelope B के 06 नंबर कंडीशन में ANNEXURE AS PER REQUIREMENT (M1 -M12) Mandatory जमा करना है। जो ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत नही किया गया है।
- मेसर्स के. डी. कंस्ट्रक्शन
(1) निविदा के शर्तानुसार Online Envelope B के 06 नंबर कंडीशन में ANNEXURE AS PER REQUIREMENT (M1 -M12) Mandatory जमा करना है। जो ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत नही किया गया है।
(2) निविदा के शर्तानुसार (Note : Any bidder will be eligible only as and when he/she has submitted the hard copies of the documents separately in Envelope “A” and “B” along with the same copies should also be uploaded online. There should not be any difference of document submitted online and offline)
टेक्नीकल दस्तावेजो में मूल प्रति का फोटोकॉपी करके उसका नोटरी या सेल्फ अटेस्टेड करके ऑलाईन अपलोड करना है, एवं उसी प्रति को ऑफलाईन भेजना है। जिससे ऑनलाईन एवं ऑफलाईन दस्तावेजों में कोई भिन्नता न हो, परंतु ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत टेक्नीकल दस्तावेजों में पूर्व से अटेस्टेड किया हुआ है एवं उसी दस्तावेज का फोटोकॉपी कर दुबारा अटेस्टेड करके ऑनलाईन अपलोड किया गया है। जबकि अटेस्टेड हमेशा मूल प्रति का होता है । जो कि पुर्णतः गलत है। इससे पूर्व के निविदा में इसका कठोरता के साथ विभाग द्वारा पालन किया गया है।
उपरोक्त दोनो ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत निविदा दस्तावेजों में उक्त गलतियां होने के बावजुद भी निविदा के शर्तो को अमान्य करते हुऐ ठेकेदारों का प्राईस बीड विभाग द्वारा खोला गया है। जबकि यह निविदा पुर्व में दिनांक 21.12.2023 को निविदा क्रमांक 150329 द्वारा आपके विभाग से आमंत्रित कि गई थी। जबकि इस निविदा में भाग लेने वाले ठेकेदार पात्रता रखने के बावजुद भी उल्लास अरविंद देशमुख (सहायक अभियंता) द्वारा समिति के सदस्यों को गुमराह करके जानबुझकर निविदा को कैंसल करके निजी स्वार्थ के कारण चहेते ठेकेदार को निविदा देने हेतु दुबारा निविदा आमंत्रित कि गई है, एवं निविदा के शर्तों के विपरीत संदर्भित निविदा में अपात्र ठेकेदार का प्राईस बीड भी खोला गया है। जबकि कार्यपालन अभियंता का पत्र क्रमांक 545 दिनांक 24.01.2024 के द्वारा मेरा पत्र दिनांक 23.01.2024 के जवाब में पूर्व के निविदा क्रमांक 150329 में मेरा निविदा ऑनलाईन अपात्र नही किया गया है, कार्यपालन अभियंता द्वारा स्वीकार भी किया गया है।
दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय के अंतर्गत बिलासपुर महाविद्यालय में टेंडर भ्रष्टाचार के मामले पर कार्रवाई नहीं करने पर शिवम कंस्ट्रक्शन ने
मामले को न्यायालय की शरण में लेकर जाने की बात कही है सारे दस्तावेजों के बाद अब सहायक अभियंता के साथ-साथ विश्वविद्यालय प्रबंधन पर भी सवाल खड़े होने लगे है वही इस पूरे मामले में अब तक विश्वविद्यालय प्रबंधन या कुलपति द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है और ना ही इसे लेकर अब तक किसी प्रकार का बयान सामने आया है,ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि सहायक अभियंता द्वारा भ्रष्टाचार कर ठेकेदार को लाभ पहुंचने की नीयत से किया गया यह कार्य कागजों में दबा रह जाता है या फिर इस पर कड़ी कार्रवाई विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा की जाती है..





