
बिलासपुर।उत्कल बिलास साहित्य संसद बिलासपुर के तत्वावधान में प्रतिवर्ष की भाती इस वर्ष भी “उत्कल बिलास” साहित्यिक पत्रिका का विमोचन डा. विनय कुमार पाठक पूर्व अध्यक्ष राजभाषा आयोग छ. ग. के मुख्य आतिथ्य करुणाकर बेहरा जी अध्यक्ष उत्कल बिलास साहित्य संसद की अध्यक्षता एवं डा. बीरबल प्रधान सेंट्रल हॉस्पिटल बिलासपुर, डा. राघवेंद्र दुबे जी अध्यक्ष तुलसी साहित्य अकादमी के विशिष्ट आतिथ्य में रेलवे स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर परिसर में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरूवार भगवान जगन्नाथ के सम्मुख दीप प्रज्वलन एवं पूजन अर्चन कर किया गया, अतिथियों के स्वागत पश्चात पत्रिका के संपादक बामन चंद्र दीक्षित ने स्वागत भाषण देते हुए पत्रिका के संदर्भ में अपनी बाते रखी। इस बीच सभी मंचस्थ अतिथियों, साहित्यकारों एवं साहित्य प्रेमियों के बीच उत्कल बिलास पत्रिका का विमोचन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अभ्यागत डा. विनय कुमार पाठक ने अपने उद्बोधन में कहा कि उत्कल बिलास में राष्ट्र भाषा हिंदी, भारती भाषा उड़िया, राजभाषा छत्तीसगढ़ी और अंतर्राष्ट्रीय भाषा अंग्रेजी का सुंदर समन्वय है, जो भाषा सेतु का कार्य करते हुए लोकतांत्रिक व्यवस्था को प्रदर्शित करता है। अध्यक्षता कर रहे श्री करुणाकर बेहरा जी ने कहा कि उत्कल बिलास़ पत्रिका उन विविध भाषाओं के रचनाकारों की रचनाओं को जनमानस तक पहुंचाने का सुंदर माध्यम है। उद्बोधन पश्चात काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमे अंचल के कवियों ने पत्रिका में शामिल किया गए भाषाओं उड़िया, हिंदी एवं छत्तीसगढ़ी में अपनी रचनाएं पढ़ी जिसमे सर्वप्रथम निराकर पाणिग्रही ने उड़िया में प्रभु की वंदना की प्रस्तुति दी, गीतकार मनोहर दास मानिकपुरी ने छत्तीसगढ़ी में “फूल बन हरी के चरण मा चढ़ जातेव”, असरफी लाल सोनी ने “हनुमान कहानी सुनो रे हनुमान कहानी”, कवयित्री रेणु वाजपेई ने ” मूरत बसी तेरी नयन बिहारी, हृदय बसों मदन मुरारी”, शुभा भौमिक ने “सुमिरन तेरा करती रहूं”, राघवेंद्र दुबे ने ” खुश है प्रभु तत्पर है, वरदान देने के लिए” बालमुकुंद श्रीवास ने बेटियो पर हो रहे अत्याचार को इंगित करते हुए ” कहां जाने निकला था और कहां पे आके रुक गया है, देख दरिंदगी अपनो को भारत मां का भी शीश झुक गया है” बामन चंद्र दीक्षित, सूर्यमणि बेहरा, दुःशासन नायक ने भी उड़िया में प्रभु की वंदना करते हुए अपनी रचनाएं पढ़ी। इस बीच लोपामुद्रा दीक्षित एवं स्वाती बेहेरा को युवा रचनकार के रूप में, उड़िया विद्यालय के शिक्षक शिक्षिकाओं श्रीमती उमा सील, संध्याराणी जेना, सीमांचल पटनायक, हेमंत कुमार धल, कविचन्द्र पंडा एवं दीपक कुमार पोड़ को उनके शिक्षकीय क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए एवं शाला के चार बच्चो माया, श्रेया, साधना एवं सागर को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन बालमुकुंद श्रीवास ने एवं आभार श्री बामन चंद्र दीक्षित ने किया। अंत में नगर के वरिष्ट साहित्यकार, समीक्षक स्व. कृष्ण कुमार भट्ट “पथिक” जी के देहावसान पर उन्हे भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम में श्री श्री जगन्नाथ समाज के पदाधिकारी दुःशासन नायक, बी के पंडा, निराकार पाणिग्राही, अशोक नायक, बिनोद बिहारी दास, सूर्यमणि बेहरा, एस. के.षड़ंगी, आर. के.मोहंती, दंडपाणि नायक, आर. के. पात्र, पद्मचरण बारीक, राजेंद्र पांडेय, रामरतन श्रीवास, बालगोविंद अग्रवाल, अरविंद कुमार बाजपेई, एवं नगर के साहित्यप्रेमी, कला प्रेमी उपस्थित थे।

