
सूरजपुर छत्तीसगढ़ के 33जिला तथा 5संभाग के सर्व पनिका समाज आज एकत्रित हो रहे अपनी बहुप्रतीक्षित अनुसूचित जनजाति की बहाली भारत सरकार से कराने के लिए।पनिका जाति में कई समितियां हैं,पनिका समाज महासमिति,भारतीय मानिकपुरी पनिका समाज,सकत पनिका समाज,प्रांतीय मानिकपुरी पनिका समाज, उत्थान समिति पनिका समाज,कल्याण समिति पनिका समाज,प्रांतीय साकत पनिका समाज छत्तीसगढ़,विकास समिति पनिका समाज,महिला प्रकोष्ठ प्रांत स्तरीय पनिका समाज ,युवा पनिका समाज संगठन छत्तीसगढ़,पूज्य पनिका समाज छत्तीसगढ़, बजरंग दल पनिका समाज, सद्गुरु कबीर सत्संग समिति पनिका समाज ,आदि सभी ने छत्तीसगढ़ में लगभग 12लाख पनिका समाज के आह्वान पर एक मंच पर सूरजपुर जिला सूरजपुर छत्तीसगढ़ वनांचल क्षेत्र में एकत्रित हुवे।
समाज प्रमुखों ने कहा अविभाजित मध्यप्रदेश में आज भी पनिका जाति अनुसूचित जनजाति में विगत सी पी बरार नागपुर प्रांत और नवीन मध्य प्रदेश में 1950से अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित था,जिसे मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में अकारण 1971में शयमाचरण मुख्यमंत्री के शासन काल में 8दिसंबर 1971को निकाल दिया गया,जबकि राजस्व विभाग और प्रदेश सरकार को यह अधिकार इसलिए नही है ,चूंकि किसी भी जाति को संविधान में प्रदत्त अधिकार के अनुरूप उसे संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार समान रूप से किसी एक वर्ग में रखने का अधिकार है,पर तत्कालीन मध्य प्रदेश सरकार ने आज से 52वर्ष पहले होनहार युवाओं के सामाजिक,राजनैतिक,आर्थिक विकास से उसे वंचित किया है,यह पूरी तरह अन्याय है।
समाज प्रमुखों ने 52साल से संघर्ष कर अपने अधिकार को पाने लालाइत हैं,संघर्ष कर रहे हैं।पनिका समाज में 2वर्ग के लोग हैं, पहाड़ों, पठारी स्थल में ,नदी नाले ,कंदरायो में , घोर जंगल में भी यह जाति आज निवास रत है,पहनने के लिए कपड़े,खाने के लिए अन्न,तथा रहने के लिए आज भी दोनो वर्ग ,कबीर पंथीपनिका,सकत पनिका सभी के पास अभाव है,इसका कारण है डॉ अम्बेडकर के द्वारा बनाए गए भारत के संविधान में प्रदत्त अधिकार से उसे वंचित कर दिया गया।मध्य प्रदेश के माननीय उच्च न्यायालय ने भी भारत सरकार को 6महीने का अल्टीमेटम देकर अपने निर्णय में यह कहा था कि संविधान के नियम बिंदु क्रमाक 14का यह उलंघन है कि एक ही जाति को पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जनजाति में रखना।पनिका जाति को उनकी आदिम व्यवस्था के अनुरूप अनुसूचित जनजाति में रखा जाना चाहिए।
ज्ञात हो कि वर्तमान छत्तीसगढ़ शासन में विधान सभा में सर्व सम्मति से पनिका जाति /पनका जाति को सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति में लिए जाने का संकल्प पारित होकर भारत सरकार अनुसूचित जनजाति मंत्रालय को मार्च/अप्रैल 2023से भेज दिया गया है।कई कई बार इस जाति का अनुसंधान विभाग तथा आयोग अनुसूचित जनजाति से पक्ष में रिपोर्ट भी भेजा जा चुका है ।
आज सर्व पनिका समाज ने एक मंच पर इकट्ठे होकर सूरजपुर छत्तीसगढ़ का एक मात्र ऐसा जिला जहां सरगुजा संभाग ही जंगलों में पनिका जाति के लगभग 2लाख जनसंख्या निवास करती है। पूरे छत्तीसगढ़ में पनिका जाति का रहन सहन,विवाह,जन्म, मृत्यु संस्कार गोड,कंवर,धनुहार,खैरवार, अनुसूचित जनजातियों के जैसा ही होता है। ये लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं।
उल्लेखनीय है कि गोंड,कंवर,धनुहार,और भी अनुसूचित जनजाति के लोग पनिका को ही न्याय व्यवस्था के लिए आगे रखते हैं,ग्राम प्रमुख कोटवार के रूप में पनिका का योगदान अंग्रेज के समय से आज तक है।बस्तर तथा बिलासपुर संभाग में पनिका से सलाह हर क्षेत्र में लिया जाता है,इसका प्रमाण है,विश्व प्रसिद्ध दशहरा बस्तर में पनिका काछिन्न गादी पनिका जाति की कन्या को सवार आने पर,राजा भांजडेव उसकी पूजा कर दशहरा महोत्सव की घोषणा करते हैं,यह प्रथा विगत 600वर्ष से चली आ रही हैं। मांग पूरी नहीं होने पर समाज द्वारा चुने गए प्रतिनिधि गढ़ विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री से मिलेंगे त्वरित कार्यवाही नहीं होने पर प्रमुख10 लोग कलेक्टर से जाकर मिलेंगे।

