
बिलासपुर। पढ़ाई के साथ बच्चों में धर्म और अध्यात्म में प्रति समाज और जागरूकता व्याप्त करना भी जरूरी है। बच्चों को अपने भारतीय मूल संस्कृति से जुड़े रखने के लिए सरस्वती शिशु मंदिर तिलकनगर में विशेष कक्षा का आयोजन किया गया।
बच्चों को प्रातः स्मरण राष्ट्रगान राष्ट्रगीत विभिन्न मंत्र के महत्व की जानकारी देते हुए पंडित गौरी शंकर मिश्रा ने बताया कि अभी पुरुषोत्तम मास चल रहा है। हर 3 साल में एक बार यह माल आता है इसमें भगवान विष्णु और शिव की पूजा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। उन्होंने इस माह से जुड़ी हुई कथा बताते हुए कहां की मलमास जिसे पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा बहुत ही उत्तम माना जाता है। इस पूरे महीने में जो व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की आराधना करता है उस व्यक्ति पर लक्ष्मी नारायण की कृपा बनी रहती है।
मलमास की कथा –
पुरुषोत्तम मास के बारे में कहा गया है कि इस मास को मलमास के नाम से जाना जाता था। मलमास के इस नाम और बिना किसी अधिकार के होने के कारण कोई भी इस मास की प्रशंसा नहीं करता था। मल मास में अपनी इस स्थिति से बहुत चिंतित होने लगा। अपने नाम को लेकर उसे काफी निंदा का सामना करना पड़ता था। साथ ही इस मास के कोई स्वामी भी नहीं था। जिस वजह से इसके अस्तित्व के नकारा जाने लगा। लेकिन, मलमास के बिना वर्ष की गणना कर पाना संभव नहीं हो सकता था। मलमास के बिना समय गणना की स्थिति अव्यवस्थित हो सकती थी। अपनी इस प्रकार की अवहेलना से दुखी मलमास चिंतित हो श्री हरि की शरण में जाता है। मलमास अपनी सारी व्यथा भगवान विष्णु के सामने बताता है। स्वामी बिना होने के कारण उसे निंदा सुननी पड़ती थी। मलमास को इस बात से दुखी होता देखकर भगवान विष्णु ने उसे आश्वासन दिया की अब से कोई तुम्हारी निंदा नहीं करेगा। भक्तवत्सल श्री विष्णु जी ने उसे अपने लोक में स्थान देने का निश्चय तिया। साथ ही मलमास को वरदान दिया कि अब से मैं तुम्हारा स्वामी बनूंगा। तुम्हारे अंदर मेरे ही गुण होंगे। भगवान विष्णु ने मलमास को अपने सभी दिव्य गुणों से सुशोभित कर दिया और मलमास को अपने नाम पुरषोत्तम दिया कहा की अब से तुम पुरुषोत्तम मास के नाम से जगत में विख्यात होंगे और मेरे नाम से ही जाने जाओगे। भगवान विष्णु के वरदान के बाद से ही मलमास को पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाने लगा। इसलिए इस महीने में भगवान विष्णु की उपासना करना और उनका जप करना उत्तम फलदायी रहता है।
मलमास की पूजा विधि – दुर्लभ पुरुषोत्तम मास के समय भगवान विष्णु के नामों का जप करना चाहिए। साथ ही स्नान, पूजन और दान जैसे पुण्य कार्य करने चाहिए। कहा जाता है कि इस महीने में एकादशी का व्रत करने से पुरुषोत्तम मास की कथा पढ़ने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

