
बिलासपुर / छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध संचालक के आदेश को ना केवल खारिज कर दिया वरन इसे लेकर गंभीर टिप्पणी भी की है.. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ नान की इस कार्रवाई को दुर्भावनापूर्ण व गलत माना है, नाराज कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बतौर क्षतिपूर्ति 50 हजार रुपए का भुगतान करने का निर्देश प्रबंध संचालक नागरिक आपूर्ति निगम रायपुर को जारी किया गया है.. कोर्ट ने 16 लाख रुपए की जब्त सुरक्षा निधि भी याचिकाकर्ता को वापस लौटाने का आदेश दिया है.. जिला प्रबंधक नागरिक आपूर्ति निगम कोरबा के अधीन ट्रांसपोर्ट कंपनी की संचालक कविता जैन पति महावीर जैन 42 वर्ष, मेन रोड कोरबा द्वारा अनुबंध किया गया था, पंजीकृत फर्म लोडिंग व अनलोडिंग के लिए मजदूरों की आपूर्ति करती थी.. वर्ष 2020-21 के लिए याचिकाकर्ता कविता जैन के पक्ष में 19 अगस्त 2021 को कार्यादेश जारी किया था, 26 अगस्त 2021 को दोनों पक्षों में समझौता हुआ.. अनुबंध अवधि तक कार्य सफलतापूर्वक निष्पादित होते रहा.. इसके बाद प्रबंध संचालक नागरिक आपूर्ति निगम की सहमति से समझौता तीन-तीन महीने के लिए बढ़ाते हुए नए ठेकेदार की नियुक्ति तक कार्य प्रदान किया गया.. वर्ष 2022 में चार से छह अक्टूबर के बीच नवरात्र व दशहरा के कारण मजदूर, हमाल नहीं आए, इसकी सूचना याचिकाकर्ता द्वारा दे दी गई थी, नान ने एक नवंबर 2022 से तीन महीने की अतिरिक्त अवधि के लिए अनुबंध बढ़ाने का प्रस्ताव दिया.. पुराने दर पर मजदूर नहीं मिलने का हवाला देकर लेकिन फर्म ने अनुबंध करने से इन्कार कर दिया.. इसके बाद मजदूरों की आपूर्ति करने में विफल रहने व समझौते का हवाला देकर खामियों के लिए फर्म को 20 दिसंबर 2022 को नान के प्रबंध संचालक ने नोटिस जारी किया.. नोटिस के साथ ही फर्म को तीन साल के लिए ब्लैक लिस्टेड कर दिया व 16 लाख रुपए की सुरक्षा निधि को जब्त कर लिया गया.. नान के फैसले को चुनौती देते हुए कविता जैन ने अधिवक्ता मनोज परांजपे के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की.. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने माना कि नान के प्रबंधक संचालक ने दुर्भावनापूर्ण व गलत तरीके से आदेश जारी किया है, प्रबंध संचालक के आदेश को कोर्ट ने खारिज कर दिया है..

