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Reading: जनचेतना रायगढ़ ने रूपेश स्पंज प्राइवेट के विस्तार का किया विरोध ,,कहा जल जंगल और जमीन पर होगा बुरा असर,,सिलिकोसिस से पहले ही 14 की मौत ,,विस्तार करना गंभीर और खतरनाक,,
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> Blog > व्यापार-उद्योग > जनचेतना रायगढ़ ने रूपेश स्पंज प्राइवेट के विस्तार का किया विरोध ,,कहा जल जंगल और जमीन पर होगा बुरा असर,,सिलिकोसिस से पहले ही 14 की मौत ,,विस्तार करना गंभीर और खतरनाक,,
व्यापार-उद्योग

जनचेतना रायगढ़ ने रूपेश स्पंज प्राइवेट के विस्तार का किया विरोध ,,कहा जल जंगल और जमीन पर होगा बुरा असर,,सिलिकोसिस से पहले ही 14 की मौत ,,विस्तार करना गंभीर और खतरनाक,,

Jp agrawal
Last updated: 2024/02/17 at 5:07 AM
Jp agrawal Published 17/02/2024
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रायगढ़ / प्रस्तावित उत्पादन क्षमता का विस्तार स्पंज आयरन प्लांट माइल्ड विलेट 28800 टीपीए से 246960 टीपीए एवं रीरोलड स्टील उतपादन234612 टी पी ए हाट चार्जिंग160512 टी पी ए के माध्यम से और रीहीटिंग फर्नेस के माध्यम 74100 टीपीए और एम एस पाइप122600टीपीए ब्राउन फील्ड प्रोजेक्ट चिराईपानी की आयोजित होने वाली जनसुनवाई का हम निम्न बिंदुओं के आधार पर विरोध करते हैं।

1- मेसर्स रूपेश स्पंज प्राइवेट लिमिटेड चिराईपानी की स्थापित क्षेत्र में पहले से लगभग छोटे-बड़े 73 स्पंज आयरन और पावर प्लांट स्थापित है। जिसके कारण व्यापक पैमाने पर जल प्रदूषण वायु प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण के कारण जनजीवन पर व्यापक पैमाने पर प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए मेसर्स रूपेश स्पंज प्राइवेट लिमिटेड चिराईपानी की जनसुनवाई को विस्तार न देते हुए तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाना चाहिए। केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना 14 सितंबर 2006 के तहत किसी भी उद्योग के आवेदन जमा करने के 45 दिवस के अंदर जनसुनवाई का आयोजन राज्य सरकार द्वारा करवाया जाना चाहिए अगर किन्हीं परिस्थितियों बस राज्य सरकार 45 दिवस के अंदर जनसुनवाई का आयोजन नहीं कर पाती। उन परिस्थितियों में केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय एक समिति का गठन करेगा जो संबंधित कंपनी की जनसुनवाई का आयोजन करेगा इस कंपनी के द्वारा जो आवेदन जमा किया गया है। वह करीब एक वर्ष पूर्व है। जो की 365 दिवस से ज्यादा आवेदन जमा करने का समय हो चुका है। इस कारण आज की जनसुनवाई केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना 14 सितंबर 2006 के नियमों का उल्लंघन है। इसलिए इस जनसुनवाई को तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए।

2- मेसर्स रूपेश स्पंज प्राइवेट लिमिटेड चिराईपानी में विस्तार होने जा रहा है। इस ग्राम पंचायत में पहले से सिलिकोसिस जैसे गंभीर बीमारियों से कई पीड़ित प्रभावित हैं। जिनके उपचार हेतु आज पर्यंत तक किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की गई उक्त सिलिकोसिस प्रभावितों में से अब तक की 14 लोगों की मौत हो चुकी है। जिसकी जानकारी मेसर्स रूपेश स्पज प्राइवेट लिमिटेड चिराईपानी द्वारा अपने ईआईए में नहीं दी गई है जिससे यह साबित होता है कि कंपनी द्वारा जो ईआईए बनाया गया है। वह जमीनी स्तर पर अध्ययन करने वाली कंपनी द्वारा नहीं बनाया गया है। एवं व्यापक पैमाने पर झूठी जानकारी आम जनमानस को उपलब्ध कराई गई है। इसलिए उक्त क्षेत्र में जमीनी स्तर पर पर्यावरणीय अध्ययन करने उपरांत ही उपरोक्त पर्यावरणीय जनसुनवाई करवाने का निर्णय लिया जाना चाहिए।

3- मेसर्स रूपेश स्पंज प्राइवेट लिमिटेड चिराईपानी क्षेत्र में होने वाले विस्तार परियोजना से व्यापक पैमाने पर जल प्रदूषण वायु प्रदूषण एवं धन प्रदूषण का विस्तार होगा। जिससे यहां के जनजीवन जल जंगल जमीन जीव और जानवरों पर व्यापक प्रमाण पैमाने पर प्रभाव पड़ेगा जिससे उक्त उद्योग का विस्तार की अनुमति देना पर्यावरणीय मापदंडों का उल्लंघन होगा इसलिए उक्त परियोजना को विस्तार देने की अनुमति प्रदान ना किया जाए।

4- विस्तार परियोजना क्षेत्र से जहां एक तरफ राम झरना सिंघनपुर गुफा जैसे पुरातत्व स्थल मौजूद हैं। जिन पर उक्त परियोजना विस्तार के बाद व्यापक पर मरने पर प्रभाव पड़ेगा एवं उक्त क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर संरक्षित वन उपलब्ध है। जिन पर आसपास के निवासरथ आदिवासी ग्रामीणों द्वारा अपना जीवन यापन बानो उपज संग्रह करके किया जाता है। जिसका प्रभाव सीधे-सीधे आदिवासी समुदाय के जीवन पर व्यापक पैमाने पर पड़ेगा इसलिए उक्त परियोजना के विस्तार की अनुमति प्रधान नहीं किया जाना चाहिए।

5- उक्त कंपनी द्वारा उक्त कंपनी द्वारा पूर्व से ही व्यापक पैमाने पर उद्योग संचालन हेतु भूजल दोहन व्यापक पैमाने पर किया जा रहा है ।जो कंपनी के विस्तार परियोजना के बाद लगभग भूजल दोहन की मात्रा 7 गुना और बढ़ जाएगी जिससे आसपास के क्षेत्र में अन्य उद्योगों के साथ-साथ व्यापक पैमाने पर भूजल दोहन करने से जल स्तर में व्यापक पैमाने पर गिरावट आएगी जिसका असर आसपास के ग्राम ऑन के पेयजल के निस्तारण पर व्यापक पैमाने पर पड़ेगा इसलिए उपरोक्त कंपनी के विस्तार की जनसुनवाई निरस्त कर पर्यावरणीय संरक्षण माप दण्डों का पालन किया जाना उचित होगा ।

6- उपरोक्त क्षेत्र के अध्ययन हेतु राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण भोपाल द्वारा राज्य सरकार और जिला प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि उपरोक्त क्षेत्र के पर्यावरणीय अध्ययन के उपरांत ही नए उद्योगों का स्थापना एवं पुराने उद्योगों के विस्तार के अनुमति पर विचार किया जाना चाहिए। जिससे पर्यावरणीय प्रदूषण से आमजन जीवन पर पढ़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाना चाहिए ।जो आज पर्यंत तक नहीं हो पाया है। इसलिए जब तक इस क्षेत्र में पर्यावरणीय अध्ययन कर इस क्षेत्र का जल प्रदूषण वायु प्रदूषण एवं धनु प्रदूषण की स्थिति का आकलन नहीं हो जाता तब तक इस क्षेत्र में नए उद्योगों की स्थापना एवं पुराने उद्योगों के विस्तार की अनुमति प्रदान करना उचित नहीं होगा।

7- इस क्षेत्र में इस क्षेत्र में पहले से ही पीएम 2.5 एवं पीएम 10 की मात्रा पर्यावरणीय मापदंडों से कई गुना अत्यधिक है। जिसका प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर सीधा-सीधा दिखाई दे रहा है। जिसमें टीवी दम इस्नोफीलिया कैंसर चर्म रोग जैसे गंभीर बीमारियां पाई जा रही हैं। साथ ही स्तन धारी जीवन में गर्भाशय जैसी बीमारियों का व्यापक पैमाने पर प्रभाव देखने को मिला है। इसलिए उपरोक्त क्षेत्र में और उद्योगों की स्थापना एवं पुराने उद्योगों की विस्तार की अनुमति देना उचित नहीं होगा ।

8- उपरोक्त क्षेत्र में पहले से ही काफी संख्या में नए उद्योगों की स्थापना एवं पुराने उद्योगों के विस्तार के अनुमति देने के कारण सड़कों में चलने वाले वाहनों से व्यापक पैमाने पर दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है एवं ध्वनि प्रदूषण वायु प्रदूषण पर भी व्यापक पैमाने पर प्रभाव पड़ा है। जिससे इस क्षेत्र में नए उद्योगों की स्थापना एवं पुराने उद्योगों के विस्तार की अनुमति देना उचित नहीं होगा।

9- आज की कंपनी का होने वाली जनसुनवाई कि जो ईआईए है। इसमें जो भी जानकारियां लगाई गई हैं वह अन्य होने वाली जनसुनवाईयों एवं कंपनियों की ईआईए की रिपोर्टर लगाई गई है उपरोक्त जानकारियां करीब 5 से 6 साल पुरानी है। इसलिए केंद्रीय जलवायु परिवर्तन विभाग नई दिल्ली के आदेश अनुसार किसी भी कंपनी की जनसुनवाई में 3 वर्ष से पुराने डेटा का उपयोग नहीं किया जा सकता। परंतु इस ईआईए में जो भी जानकारी दी गई है। वह 2011 के जनगणना के अनुसार है। इसलिए यह जनसुनवाई अवैध एवं अनलीगल है। इसलिए आज की जनसुनवाई का हम विरोध करते हैं।

10- यह क्षेत्र हाथी प्रभावित क्षेत्र ।है जहां हाथियों द्वारा आसपास के ग्रामीणों के खेतों का कृषि नुकसान एवं कभी-कभी गांवों में या जंगलों में मानव छति भी पहुंचाई जाती है। जिसकी क्षतिपूर्ति के रूप में रायगढ़ वन विभाग द्वारा कृषि क्षतिपूर्ति एवं मानव क्षतिपूर्ति के रूप में साथ ही हाथियों के भोजन एवं रखरखाव के लिए 4 करोड रुपए से ज्यादा खर्च किए जाते हैं इन परिस्थितियों में इस ई आई ए के अंदर इसका विवरण नहीं दिया गया है। तैयार किए गए दस्तावेज तारक दिखाई नहीं देते हैं। जिससे यह कहा जा सकता है इस क्षेत्र की बनाई गई। आईए सच्चाईयों से कोई वास्ता नहीं रखती जो केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय के नियमों का सीधा सीधा उल्लंघन है ।इसलिए इस जनसुनवाई को निरस्त कर जमीनी स्तर पर अध्ययन करवाने की आवश्यकता है।

11- क्षेत्र में कोयला खदान पावर प्लांट एवं स्थानीय उद्योगों के लिए चलने वाले ट्रकों से व्यापक पैमाने पर दुर्घटनाएं होती हैं। जिसका विवरण इन दस्तावेजों में नहीं दिया गया है। आने वाले समय में जब कंपनी का विस्तार होगा एवं नई कंपनियों की स्थापना होगी जिससे सड़कों में व्यापक पैमाने पर दबाव बढ़ेगा जिससे दुर्घटनाओं में व्यापक पैमाने पर बढ़ोतरी होगी इनका विवरण इन दस्तावेजों में उपलब्ध नहीं कराया गया है कि प्रशासन द्वारा होने वाली दुर्घटनाओं को कैसे रोका जाएगा जबकि सड़कें दो लाइन की हैं। वाहन क्षमता विस्तार को देखते हुए फोर लाइन बनाने की अति आवश्यकता है जिससे इस क्षेत्र में चलने वाले वाहनों से दुर्घटनाओं को रोका जा सके।

12- इस 10 किलोमीटर के क्षेत्र में प्राइमरी मिडिल हायर सेकेंडरी 40 से ज्यादा स्कूले हैं। जहां कभी भी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण नहीं करवाया गया। जिससे यह पता चल सके कि रायगढ़ जिले के तमनार विकासखंड के अंदर औद्योगिकरण की वजह से आम जनमानस में स्वास्थ्य को लेकर किस तरह के के प्रभाव पड़े हैं ।जो कि इस क्षेत्र में सिलिकोसिस जैसे गंभीर बीमारियां पाई गई हैं जिसका विवरण इस अध्ययन रिपोर्ट में नहीं दिया गया है।

13- इस 10 किलोमीटर के क्षेत्र में 70 से ज्यादा आगनबाडी हैं जहां 1 वर्ष से 3 वर्ष तक के बच्चे एवं बच्चियां आगनबाडी में पढ़ती हैं। जिनका अब तक किसी भी प्रकार का स्वास्थ्य परीक्षण नहीं करवाया गया है। जिससे यह पता चल सके कि आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों के स्वास्थ्य जीवन पर किस तरीके का प्रभाव पड़ा है जबकि देखा गया है कि इस क्षेत्र में इस्नोफीलिया दमा टीवी कैंसर शरीर में चर्म रोग जैसे बीमारी पाई गई हैं। इनके लिए ना तो किसी कंपनी द्वारा और ना ही सरकार द्वारा किसी भी प्रकार का कैंप का आयोजन अब तक नहीं किया गया है जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।

14- जिंदल औद्योगिक पार्क पूंजीपथरा में जहां एक तरफ 30 से ज्यादा छोटे उद्योग स्थापित हैं वहीं पर जिंदल इंजीनियरिंग कॉलेज भी स्थापित है जहां सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं जिनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है आंखों में जलन चर्म रोग इस्नोफीलिया दमा जैसे गंभीर लक्षण पाए गए हैं। जिसका अध्ययन केंद्रीय पॉल्यूशन बोर्ड नई दिल्ली द्वारा किया गया है और सरकार को यह सुझाव दिया गया है कि यहां से या की उद्योग बंद कर दिए जाएं या की यहां से जे आई टी इंजीनियरिंग कॉलेज को स्थानांतरित कर दिया जाए जो कंपनी और प्रशासन द्वारा अब तक नहीं किया गया है।

15- यह क्षेत्र आठवीं अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आता है। जहां पेसा एक्ट कानून लागू होता है ऐसा एक्ट कानून के मुताबिक दीना ग्राम सभा के अनुमति के बगैर किसी भी प्रकार का उद्योग एवं कोई गतिविधियां संचालित नहीं की जा सकती हैं ।परंतु प्रशासन द्वारा पांचवी अनुसूची पेसा एक्ट कानून के नियमों का सीधा उल्लंघन किया जाता है और ग्राम सभा के मिले अधिकारों का सीधा सीधा उल्लंघन किया जाता है। जो पेसा एक्ट कानून के नियमों का सीधा सीधा उल्लंघन है।

16- क्षेत्र के 10 किलोमीटर के अंदर केलो डैम रावो डेम बिलासपुर डैम स्थापित है। जिनका जल प्रदूषण से पढ़ने वाले प्रभाव का आकलन नहीं किया गया है। जबकि केलो डैम से रायगढ़ शहर एवं 20 से ज्यादा गांव शहर के ऊपर स्तर पर एवं शहर के नीचे बसे गांव केलो नदी के जल का निस्तारण करता है। जिससे प्रदूषित जल की वजह से लोगों के शरीर में खाज खुजली एवं शरीर के ऊपर पढ़ने वाले प्रभाव का स्वास्थ्य परीक्षण अब तक नहीं किया गया है एवं जल की गुणवत्ता का अध्ययन भी नहीं किया गया है, जो आवश्यक है कि जल प्रदूषण के संबंध में पहले अध्ययन कराया जाए जिससे लोगों के जनजीवन पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन किया जा सके।

17- जिले के औद्योगिक करण होने के कारण रायगढ़ जिले में अपराधों में व्यापक पैमाने पर बढ़ोतरी हुई है। इसका मूल बजह दूसरे राज्यों से काम करने आने वाले जो लोग आसपास के गांवों में किराए के मकान में रहकर कार्य करते हैं। जिनके द्वारा गंभीर घटनाओं में अपराध में हिस्सेदारी पाई गई है। जिससे यह क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर अपराधों में बढ़ोतरी हुई है। इसके लिए किस तरीके की गतिविधियों का संचालन किया जाएगा इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार का कोई अध्ययन नहीं किया गया है।

18- रायगढ़ जिले में औद्योगिक करण होने के बाद भी स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार का अवसर नहीं मिला। अगर रायगढ़ के रोजगार कार्यालय के जानकारी का अध्ययन करें, तो लगभग 2 लाख 20563 युवा बेरोजगार रजिस्टर्ड है। जबकि रायगढ़ जिले में 3 लाख करोड़ों रुपए से ज्यादा का पूंजी निवेश औद्योगिकरण के नाम से किया गया है। इस पर कंपनी और सरकार को विचार करना चाहिए कि स्थानीय उद्योगों में स्थानीय बेरोजगारों को कैसे रोजगार उपलब्ध कराए जा सकते हैं।

19- रायगढ़ जिले का औद्योगिकरण होने के बाद भी महिलाओं को रोजगार का अवसर ना मिलना जबकि इस क्षेत्र में काफी महिलाएं तकनीकी शिक्षा से हैं। साथ ही इस क्षेत्र में प्रत्येक गांव में युवतियों को देखा गया है कि बीए बीएससी एमएससी इंजीनियरिंग जैसे उच्च शैक्षणिक योग्यता रखती हैं। इसके बाद भी रायगढ़ जिले का दुर्भाग्य है कि स्थानीय उद्योगों में महिलाओं को रोजगार ना मिल पाना जिस पर एक अध्ययन की जरूरत है। और स्थानी युवा युवतियों को स्थानीय उद्योगों में रोजगार उपलब्ध कराया जा सके जिससे रायगढ़ जिले के युवाओं में नौकरी को लेकर पलायन को रोका जा सके।

20- क्षेत्र में निवासरत लोग कृषि पशुधन एवं वनों उपज का संग्रह कर जीवन यापन करते हैं। औद्योगीकरण की वजह से जंगलों में मिलने वाला तेंदूपत्ता महुआ डोरी चिरौंजी हर्रा बहेड़ा आमला पराया विलुप्त हो गया है। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में खासतौर से आदिवासी समुदाय के लोगों का जीवन यापन खतरे में पड़ गया है। इसलिए आसपास के स्थानीय आदिवासी समुदाय के परिवारों के प्रत्येक परिवार से कम से कम एक व्यक्ति को स्थानीय उद्योगों में रोजगार उपलब्ध कराया जाए।

इन सभी तथ्यों का अवलोकन करने के बाद ही पर्यावरणीय विस्तार की अनुमति देने पर जिला प्रशासन राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार को पुनर्विचार किया जाना चाहिए।

राजेश कुमार त्रिपाठी
जन चेतना रायगढ़ छत्तीसगढ़

Jp agrawal

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