
बिलासपुर। चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल बुधवार शाम चंद्रमा की सतह पर उतर गया। इसी के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल ने शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिग की। चंद्रयान-3 के लैंडर ने चांद के दक्षिण ध्रुव पर कदम रखकर इतिहास रच दिया है। इस सफलता पर वैज्ञानिकों आमजन सामाजिक संस्थाओ , शिक्षाविद , व्यवसायी और राजनेताओं से लेकर हर भारतवासियों ने गर्व महसूस किया और अपनी प्रतिक्रियाएं भ्ोजी।
चंदा मामा के दक्षिणी ध्रुव में चंद्रयान-3 लैंडिंग अद्वितीय सफलता है भारत का दुनिया में सम्मान ऊंचा हुआ है और हमारा देश आज विश्व का चौथा देश बन गया है। नए भारत की रचना में यह सफलता एक नया कदम है इस सफलता के लिए इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई। डॉ पी एल चंद्राकर विभाग अध्यक्ष भूगोल सीएम दुबे स्नाकोत्तर महाविद्यालय बिलासपुर।
चंद्रयान के सफल लैंडिग के पश्चात लैंडर के साथ गए रंभा और आईएलएस चंद्रमा के सतह और उसके पर्यावरण को समझने का प्रयास करेंगे।रोवर खुदाई करके खनिजों की संरचना को भी समझना का प्रयास अगले 14दिनों में करेगा । यह कार्य अपने मूल कार्य के अलावा होगा । यह मिट्टी और चट्टानों की संरचना को समझने का भी प्रयास करेगा।
डॉ धनंजय पाण्डेय, डॉ कलाम विज्ञान क्लब, स्वामी आत्मानंद शा बहु उमा विद्यालय बिलासपुर
आज की उपलब्धि चांद पर टूरिज्म को बढ़ावा देगा। साथ ही एक सब स्टेशन के निर्माण का भी रास्ता खुलेगा। मोहनीश ध्रुव छात्र स्वामी आत्मानंद शाबहुउमा विद्यालय बिलासपुर
चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान 3 के विक्रम लैंडर की सफल लैंडिग भारत के लिए गौरवपूर्ण क्षण भी है और एक ऐतिहासिक उपलब्धि भी। इसके साथ ही हमारे महान वैज्ञानिकों ने विश्व में धाक जमा दी। नेहा अग्रवाल चेयरपर्सन बिलासपुर लेडीज सर्किल -144
आदि काल से भारत में ग्रहों की गणना,ग्रहों की स्थिति से मनुष्य और धरातल पर होने वाले प्रभाव,विशेषता एवं उसमें पाए जाने पदार्थ की जानकारी भारत पूरे विश्व को देता रहा है। चन्द्रयान-3 अभियान बहुत सारे विषयों की जानकारी जुटाने में सक्षम है जैसे जल, तापमान, खाद्य सामग्री, धातु की जानकारी रासायनिक अवयव,चन्द्रयान-3 मे वैज्ञानिक परीक्षण के लिए अंतरिक्ष यान अपने साथ कई उपकरण उपकरणों को ले गया है, जैसे सीस्मोमीटर -भूकंप की स्थिति और उससे होने वाले प्रभाव,सौरमंडल की स्थिति। हालांकि तीन और देश भी हैं जिन्होंने चंद्रयान पर अपने यान भेजें परंतु सभी यान की तुलना में भारत द्बारा भेजा गया चन्द्रयान-3 कई मायनों में महत्वपूर्ण है। अन्य देशों की तुलना में चंद्रयान -3 अधिक जानकारी को पता लगाने में सक्षम है, साथ ही भविष्य में संभावनाओं के द्बार भी खोलेगा युवा वैज्ञानिक एवं परीक्षा नियंत्रक, अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय बिलासपुर,छत्तीसगढ़
चंद्रयान तीन की सफलता भारत के लिए गौरव का क्षण है। भारत दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला प्रथम देश बन गया है। अब आने वाली पीढ़ी के बच्चे चंदा मामा दूर के नहीं चंदा मामा टूर के ये लाइन दोहराएंगे,,,जय विज्ञान, जय अनुसंधान व्याख्याता श्रीमती ज्योति सक्सेना
इसरो के वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लाई । चंद्रयान की यात्रा अद्बितीय, सफलता की अमिट गाथा है। चंद्रयान 3 पर विक्रम के सफल लैंडिग में हमारा देश विश्व का पहला देश बन गया। डॉ. श्रुति मौर्य श्रुति जन कल्याण फाउंडेशन
अंतरिक्ष जगत में भारत ने इतिहास रच दिया है। 24 अगस्त 2०23 की यह तारीख भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गई है। मिशन चंद्रयान- 3 कामयाबी की ओर भारत के एक और कदम के बाद हर ओर खुशियां हैं। डॉ. सुनीता चावला इनरव्हील क्लब
भारत का चंद्रयान-1 लैंडर विक्रम चंद्रयान पर सफलतापूर्वक लैंड कर चुका है। इसी के साथ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिग करने वाला भारत पूरे विश्व में पहला देश बन चुका है।अब चंद्रयान -3 दिन की सफल लैंडिग से विश्व को चांद से जुड़े कई सवालों के जवाब मिल सकेंगे। प्रो निधीश चौबे, विभागाध्यक्ष-इलेक्ट्रॉनिक विभाग डीपी विप्र महाविद्यालय
अंतरिक्ष में गूंज उठे हम.. चंद्रयान का गान लिए..
चांद तिरंगे रंग में रंगा..नयी एक पहचान लिए..
मेरे भारत के वैज्ञानिक.. तुम गौरव हो भारत का..
ऊंचा माथा लिए खड़े हम..सच्चा एक अभिमान लिए। शिक्षक विश्राम निर्मलकर
आज भारत ने फिर से इतिहास रच दिया,चन्द्रयान-3 को पूरा विश्व ने चंद्रमा पर उतरते हुए देखा। भारत के सभी राज्यों में रिसर्च लैब स्थापित करने की आवश्यकता है ताकि भारत में वैज्ञानिक ज्ञान और प्रसार के लिए युवा पीढ़ी आगे आये है। डॉ. प्रतीक्षा दिवेदी

