
बिलासपुर / छत्तीसगढ़ में सरकार बदल गई परंतु कुछ विभाग के शासकीय अधिकारियों ने रवैए में कोई बदलाव नहीं आया है और अभी भी लगातार भ्रष्टाचार में लिप्त हैं ऐसा ही एक बड़ा मामला दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय, अंजोरा ,दुर्ग में सामने आए है। छत्तीसगढ़ शासन कृषि एवम पशुपालन विभाग के अंतर्गत संचालित दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय में शासन के नियमो को ताक पर रखकर भारी भ्रष्टाचार किए जाने के मामले सामने आए हैं। मामले में एक सहायक अभियंता उल्लास अरविंद देशमुख (परिविक्षाधीन) जिनकी नियुक्ति वर्ष 2014 में गलत ढंग से की गई है, को विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलसचिव डॉ रमेश कुमार सोनवाने द्वारा पूरा संरक्षण प्रदान कर सारे निर्माण कार्य उक्त सहायक अभियंता से करवाए जा रहे हैं। यहां पर कई निर्माण कार्य चल रहे हैं और सभी में उक्त सहायक अभियंता द्वारा की गई गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की कई शिकायतें है..

विश्वविद्यालय के निर्माण विभाग कार्यपालन अभियंता कार्यालय में पदस्थ सहायक अभियंता उल्लास अरविंद देशमुख (परिविक्षाधीन)द्वारा अपनी नियुक्ति से लेकर अब तक कई भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितताएं की गई हैं जिसके कारण पूर्व कुलपति डॉ दक्षिणकर और पूर्व कुलसचिव डॉ मरकाम द्वारा उक्त सहायक अभियंता उल्लास अरविंद देशमुख (परिविक्षाधीन) को निलंबित कर उनके ऊपर विभागीय जांच भी बैठाई गई थी जो लंबित है.. इतना ही नहीं उक्त सहायक अभियंता उल्लास अरविंद देशमुख का अपनी पदस्थापना 2014 से आज दिनांक तक का शासकीय कार्य और विभागीय रिकार्ड भी अच्छा नहीं है एवम इनकी गोपनीय चरित्रवाली में पूर्व अधिकारियों ने D- ग्रेड दिया हुआ है,जिसके कारण इनकी नियुक्ति से लेकर आज दिनांक तक इनकी परिवीक्षा अवधि भी समाप्त नहीं हुई है साथ ही तत्कालीन कार्यपालन अभियंता श्री ए. एस. प्लाहा द्वारा उक्त सहायक अभियंता देशमुख का माह मार्च 2016 में 1 दिन का वेतन दंड स्वरूप काट कर उसे सर्विस बुक में दर्ज किया है जिससे उक्त सहायक अभियंता का ब्रेक इन सर्विस हो चुका है और इसके उपरांत तत्कालीन कार्यपालन अभियंता महेश कुमार शर्मा ने भी उक्त सहायक अभियंता देशमुख का अपने कर्तव्य से बिना अनुमति के अनुपस्थित रहने के कारण माह मार्च 2021, माह जून 2021 एवम माह जुलाई 2021 का वेतन कटौती किया गया है जिसके कारण परिवीक्षा अवधि में ही दुबारा उक्त सहायक अभियंता देशमुख का ब्रेक इन सर्विस हो गया है..
उक्त सहायक अभियंता देशमुख द्वारा 29 करोड़ के निर्माण कार्यों ने भारी गड़बड़ी और भ्रष्टाचार किया गया और 29 करोड़ की निर्माण कार्यों की निविदाओं को मैनुअली आमंत्रित कर उसे ड्रॉप बॉक्स में डलवा कर अपने चहेते ठेकेदारों को निविदा बांट दी गई, जिस मामले में विश्वविद्यालय ने डॉ. एस.पी. तिवारी, अधिष्ठाता की अध्यक्षता में हाई पावर जांच समिति गठित की गई और हाई पावर जांच समिति ने अपनी जांच में उक्त सहायक अभियंता देशमुख को दोषी सिद्ध किया है,वर्तमान में उक्त मामले की लोकायुक्त और EOW में जांच चल रही है, साथ ही उक्त सहायक अभियंता देशमुख द्वारा अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए कार्यपालन अभियंता कार्यालय से 11 नग माप पुस्तिकाएं गायब कर दी गई, जिसमे विश्वविद्यालय द्वारा डॉ पी. एल. चौधरी की अध्यक्षता में करवाई गई जांच में भी उक्त सहायक अभियंता दोषी सिद्ध हो चुके है एवम उक्त सहायक अभियंता देशमुख के ऊपर कार्यवाही हेतु छत्तीसगढ़ शासन पशुधन विकास विभाग से लगातार विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ रमेश कुमार सोनवाने को उक्त सहायक अभियंता के ऊपर कार्यवाही करने हेतु एवम की गई कार्यवाही से शासन को अवगत कराने हेतु पत्र लिखे जा रहे हैं परंतु विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ सोनवाने सारे शासन के आदेशों की अवहेलना कर उक्त सहायक अभियंता देशमुख को भ्रष्टाचार में पूरा सहयोग कर रहे है एवम आज दिनांक तक कोई कार्रवाई नहीं किए गए जिससे स्पष्ट है कि कुलसचिव डॉ सोनवाने की उक्त सहायक अभियंता देशमुख से पूरे भ्रष्टाचार में मिली भगत है जबकि उक्त सहायक अभियंता देशमुख के ऊपर कार्यवाही करने हेतु शासन के पत्रों के तारतम्य में विश्वविद्यालय के अधिकृत अधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर से “लीगल ओपिनियन” भी लिया गया है और उन्होंने अपने ओपिनियन में उक्त सहायक अभियंता उल्लास अरविंद देशमुख की सेवा समाप्त करने का ओपिनियन दिया है उसके बावजूद उक्त सहायक अभियंता देशमुख के ऊपर कार्यवाही न कर कुलसचिव डॉ सोनवाने उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे है..


बता दें कि, विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ सोनवाने, पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग से ही प्रतिनुक्ति में कामधेनु विश्वविद्यालय में कुलसचिव के पद पर आए है और उनको , उन्हीं के मुलविभाग पशुधन विभाग के उच्च अधिकारियों संचालक और उप सचिव जो की IAS अधिकारी है द्वारा उक्त सहायक अभियंता देशमुख के ऊपर कार्यवाही करने हेतु लिखित निर्देश व पत्र लिखे गए है परंतु विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ सोनवाने द्वारा उनके निर्देशों की अवहेलना की जा रही है और देशमुख के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है यह कई तरह के संदेहों को जन्म दे रहा है..


सहायक अभियंता देशमुख द्वारा भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितता करने के लिए पशु चिकित्सा एवम पशुपालन महाविद्यालय में ठेकेदारों से सांठ गांठ कर 1.54 करोड़ की फर्जी बिलिंग की गई है तथा शासकीय धनराशि का गबन किया है, उक्त मामले में तत्कालीन कार्यपालन अभियंता रविशंकर कोष्टा ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कुलसचिव डॉ सोनवाने को प्रेषित कर उक्त सहायक अभियंता देशमुख के ऊपर कार्यवाही हेतु लेख किया है, परंतु विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ सोनवाने ने उक्त मामले में भी कार्यवाही ना करते हुए मामले को लंबित कर उसी सहायक अभियंता से ही वर्तमान में निर्माण कार्य करवाए जा रहे है ताकि दोनो मिल कर भ्रष्टाचार कर सकें..
नए मामले में सहायक अभियंता देशमुख ने अपने चहेते ठेकेदारों को निर्माण कार्य देने के उद्देश्य से निविदा समिति को गुमराह करते हुए 3–3 बार टेंडर खोला और गलत तरीके से अपात्र ठेकेदारों को काम भी दे दिया गया जिसकी पूरी शिकायत विश्वविद्यालय के कुलपति से की गई है.. इतने सारे भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितता के मामले में दोषी पाए जाने एवम परिवीक्षा अवधि में 2–2 बार ब्रेक इन सर्विस होने के उपरांत भी विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ सोनवाने द्वारा उक्त सहायक अभियंता देशमुख के ऊपर कार्यवाही ना करते हुए उन्हें उपकृत करने उनसे पैसे लेकर और विश्वविद्यालय के कुलपति को गुमराह कर उक्त सहायक अभियंता देशमुख का परिवीक्षा अवधि समाप्त करने के प्रयास में है और इसके लिए सारे शासकीय नियमो को ताक पर रखकर कुलसचिव डॉ सोनवाने द्वारा रॉकेट की गति से उक्त सहायक अभियंता देशमुख की फाइल चलाई जा रही है..
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आर. आर. बी. सिंह नए आए है इस बात का फायदा उठाकर कुलसचिव डॉ सोनवाने द्वारा कुलपति को गुमराह करते हुए और गलत जानकारी देकर उनसे देशमुख की फाइल को अनुमोदन करवाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है जो की शासन व विश्वविद्यालय के हित में नहीं है।

