
बिलासपुर। नवोदय स्कूल के बाद तालापारा के रास्ते नगर में शुरू हुई बीमारी ने रौद्र रूप लेना शुरू कर दिया है। बड़ी संख्या में आई कंजेक्टिवाइटिस के मरीज सामने आ रहे हैं। नगर निगम ने इस को कंट्रोल करने के लिए विभागीय दावे तो किए हैं लेकिन कोरोना के बाद अब इस बीमारी ने स्कूलों को भी चिंतित करना शुरू कर दिया है।
सरस्वती शिशु मंदिर तिलकनगर में स्कूली बच्चों को इस बीमारी से पीड़ित होने पर पूरी सावधानी के साथ आने की सलाह दी है। इस संबंध में पेरेंट्स से निवेदन किया गया है कि पीड़ित छात्र छात्राओं को दवा के साथ काला चश्मा लगाकर ही स्कूल भेजा जाए। स्कूल के शिक्षक संस्कार श्रीवास्तव ने बताया कि पढ़ाई के चलते सैद्धांतिक रूप से तो बच्चों को स्कूल आने से नहीं रोक मना किया जा सकता है लेकिन स्वास्थ्य विभाग की माने तो इस बीमारी से पीड़ित मरीज को भीड़भाड़ से दूर रहने की सलाह दी जाती है क्योंकि पीड़ित से हाथ मिलाने पर भी यह बीमारी फैलती है। ऐसा स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है। इसी के साथ हवा में प्रदूषण वातावरण की नमी बरसात के गंदे पानी में नहाने की वजह से भी यह बीमारी फैलती है। शुरू में आंखों में खुजली फिर आंखें लाल होना सफेद रंग का कीचड़ आना आंखों से पानी बहना आंखों में सूजन और दर्द रहना जैसी समस्याएं भी देखी जाती हैं। स्कूल के शिक्षक ने नगर निगम से मांग की है कि इस संक्रामक बीमारी की गंभीरता को देखते हुए हर स्कूल में जाकर जन जागरण करना चाहिए।
*ठीक होने तक घर पर रहना ही उचित -* कोई भी स्कूल अधिकारिक रूप से बच्चों को स्कूल आने से मना तो नहीं करना ठीक नहीं समझते। समस्या यह है कि पीड़ित बच्चे यदि स्कूल आएंगे तो वह अपने दूसरे साथियों के साथ भी उठेंगे बैठेंगे साथ में पढेंगे। ऐसे में स्कूलों में पिंक आई कंजेक्टिवाइटिस का विस्फोट होने से नहीं रोका जा सकता है। जो अपने चपेट में टीचर्स को भी ले सकता है। यदि समूचा स्कूल ही इस बीमारी से ग्रस्त हो गया तो अध्ययन – अध्यापन पर असर पड़ना तय माना जा रहा है। लेकिन समझदारी इसी में है कि पालक इस संक्रामक बीमारी की गंभीरता को देखते हुए पूरी तरह से ठीक होने तक अपने बच्चों को घर पर ही रखें। मल्हार नवोदय विद्यालय में पीड़ित बच्चों को दवा दी जा रही है। इसके अलावा बच्चों को इस तरह की बीमारी होने पर घर पर है घर पर ही रहने की सलाह दी जा रही है। जब बच्चे ठीक हो जाए तब भी स्कूल आ सकते हैं।

