बिलासपुर।आंध्रा समाज द्वारा संचालित आंध्रा समाज कन्या उ.मा. अंग्रेज़ी मध्यम, हिंदी माध्यम प्रायमरी विद्यालय बुधवारी बाजार रेलवे परिक्षेत्र बिलासपुर में स्कूल का वार्षिकोत्सव समारोह सत्र 2023- 2024 का बड़े ही धूमधाम से मनाया गया ।इस वार्षिकोत्सव के मुख्य अतिथि के रूप में ए.वी.एस.नेहरू, उप मुख्य कार्मिक अधिकारी (आई.आर.)दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे मुख्यालय बिलासपुर, विशिष्ट अतिथि में समाज सेवी डाक्टर शिवम अरुण पटनायक,सी. नवीन कुमार डायरेक्टर अर्बनबैंक,सचिव नॉर्थ ईस्ट ईस्ट्यूट बिलासपुर, एन.रमना मूर्ति, पी.श्रीनिवास राव,जी. रमेश चंद्रा, टी. रमेश बाबू,ए. सत्यानारायण, एस. वी. रमना, जी. एस. पटनायक, आर. मनोरथ बाबू, डी. एन. प्रसाद पूर्व प्राचार्य डी. एस.लक्ष्मी थी।
इस वार्षिकोत्सव का शुभारंभ मां सरस्वती की छाया चित्र के समीप दीप प्रज्ज्वलित कर माल्यार्पण कर शुरुआत किया गया। उसके उपरांत अतिथियों का स्वागत के बाद स्कूली बच्चों का रंगा-रंग सांकृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जिसमें स्कूली बच्चे वॉट्सप, फेस बुक, इस्त्राग्राम,टेलीग्राम,सोसल मीडिया के द्वारा बच्चे पर पड़ने वाले बुरा असर ड्रामा के माध्यम से दर्शाया गया। अयोध्या श्री राम, कृष्ण,पोंगल पर आधारित अनेक रंगा – रंग मनमोहक झांकियों के साथ प्रस्तुति दी गई।
कार्यक्रम में अतिथि डॉ. शिवम अरूण पटनायक ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षा में जब तक सही रूप में मानवीय मूल्यों को महत्व नहीं दिया जायेगा तथा चरित्र निर्माण पर महत्व नहीं दिया जायेगा, तो छात्र के जीवन में केवल शिक्षा का कोई महत्व नहीं रहेगा। उन्होंने शिक्षकों से भी आग्रह किया कि वे भी तभी उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं।जब वे स्वयं अपने चरित्र, व्यवहार और कार्य के प्रति निष्ठावान रहेंगे। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री ने नेशनल एजुकेशन पालिसी के तहत् सभी स्कूल, कालेज, विश्वविद्यालय में मानवीय मूल्य को अलग से सम्मिलित करने की बात कही। डॉ. पटनायक ने अपने उद्बोधन में यह भी कहा कि आज हम विकसित भारत 2047 की बात कर रहे हैं, जबकि भारत पूर्व से ही विकसित और सम्पन्न देश रहा है। दुनिया का 20प्रतिशत जी.डी.पी. केवल भारत का हुआ करता था। जहां 7012 साल पूर्व त्रेता युग में राम थे और 5053 में द्वापर युग में कृष्ण थे, 3100 साल पूर्व बौद्ध धर्म था, 2300 साल पूर्व इसाई धर्म था और 1453 साल पूर्व इस्लाम धर्म था, जबकि सबसे पहले सनातन एवं पहले से संस्थापित धर्म कोई था, तो वह हिन्दू धर्म था और भारत को पूर्व से ही यह सब विरासत में मिला। जिसे दुनिया में सभी लोग भारत के इस ताकत को माने, लेकिन आज कहीं ना कहीं हमारी मानवीय मूल्य,चरित्र, द्वेष, घृणा और स्वार्थ ने इस तरह जकड़ा कि आज हमें फिर से विश्व गुरू की ओर अग्रसर होने की जरूरत महसुस हो रही है, साथ ही भारत को विकसित देश में प्रस्तुत करने की बात कहीं जा रही है। युवा इस देश एवं संसार के निर्माता है,ं जब युवाओं में मानवीय मूल्य पूर्ण रूप से स्थापित हो जायेगा, तो देश अपने आप विकासशील हो जायेगा।
नवीन कुमार ने अपने भाषण में कहा की बच्चे पढ़ाई का ध्यान टीचर्स के साथ- साथ उनके अभिभावक को भी घर पर कम से कम 1- 2 घंटा समय निकालना चाहिए तभी बच्चे भी आगे बड़ पाएंगे।
अन्त में मुख्य अतिथि ए वी एस नेहरू ने अपने संबोधन में कहा कि स्कूल की रंगा रंग मनमोहक झांकियां,गीत संगीत कार्यक्रमो पर प्रकाश डालते हुए स्कूल प्रबंधन ने सराहना की


