
बिलासपुर। बिलासपुर रेल जॉन के 49 स्टेशनों का कायाकल्प किया जाएगा। इन सभी स्टेशनों में 32 महीने के अंदर बनकर तैयार हो जाएंगे। रेलवे अकेले बिलासपुर स्टेशन में 465 करोड़ रुपए खर्च करने का दावा कर रही है। इस योजना के तहत देश भर के 13०9 स्टेशनों का कायाकल्प किया जाएगा। इस पूरे प्रोजेक्ट में बिलासपुर रेल मंडल के 17 स्टेशनों का भी कायाकल्प किया जाएगा। जिसमे बिलासपुर, उसलापुर, अकलतरा, नैला, बाराद्बार, चंपा, बेलपहाड़, रायगढ़, ब्रजराजनगर, कोरबा, पेंड्रारोड, शहडोल, अनुपपुर, उमरिया, बिजुरी, बैकुंठपुररोड, अंबिकापुर जैसे स्टेशन शामिल है.रेल विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ज्यादातर स्टेशन का सौंदर्यीकरण 12, 15 या 18 महीने में पूरा हो जाएगा। एक ओर छत्तीसगढ़ के रेलयात्री अब ट्रे नों के लेटलतीफी को लेकर हलाकान हो चुके हैं। दपूमरे जोन की यात्री ट्रेनों को माल गाड़ियों के आगे तवज्जो नहीं देने की व्यवसायिक सोच ने यात्री ट्रेनों को आम लोगों से दूर करना शुरू कर दिया है। यात्री ट्रेनों की लेटलतीफी से परेशान लोग आप प्राइवेट टैक्सी और बस का सहारा लेने लगे हैं। ऐसे समय में रेल मंत्रालय 25 हजार करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट लेकर आई है।
शनिवार को डीआरएम कार्यालय में प्रेसवार्ता के दौरान दपूमरेलवे डीआरएम ने इस बात की जानकारी दी और योजनाओं पर प्रकाश डाला। इस मौके पर यात्री ट्रेनों को छोड़कर क्या माल लदान टेàनो को ही रेलवे द्बारा प्राथमिकता दी जा रही है ,, के सवाल पर अधिकारियों ने कहा कि यात्री ट्रेनों को प्राथमिकता दी जाती है , बाकी गाड़ियों को भी चलाया जा रहा है कभी-कभी यात्री ट्रेनों को निकालने के लिए मालगाड़ी को भी रोका जाता है । उन्होंने कहा आनेवाला 12-15 महीना हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस बाई ट्रैक की चौथी लाइन क मीशन हो जाएगी। इसके बाद दो लेन गुड्स ट्रेन के लिए और दो लेन पैसेंजर ट्रेन के लिए उपलब्ध रहेगा। फिर कभी गुड्स ट्रेन को पास करने के लिए पैसेंजर ट्रेन को रोकना नहीं पड़ेगा। जल्द ही यात्री ट्रेनों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी है और चल रहे ट्रेनों में कोचेस भी बढ़ाए जाएंगे। उन्होंने आगामी समय में मालगाड़ी व आने यात्री गाड़ियों के बीच तालमेल बनाकर उसको सुचारू रूप से चलाने की बात कही। साथ ही कहा की चौथी लाइन पूरा होने के बाद लेटलतीफी की समस्या भी दूर हो जाएगी।
कोयला ढोना भी प्राथमिकता है।
रेलवे महाप्रबंधक ने ट्रेनों की लेटलतीफी पर बताया कि कभी-कभी काफी तेज बरसात होती है पानी भर जाता है सिग्नल बाधित हो जाता है, गाड़ी खींच नहीं पा रही है इस कारण से दिक्कत होती है। क्या कोयला ढोना भी प्राथमिकता है? सवाल पर कहा कि कोयला ढोना ही प्राथमिकता नहीं है, बल्कि कोयला ढोना भी प्राथमिकता है। पैसेंजर ट्रेने भी अच्छे से चले उसके लिए भी लाइन बन रही है । डीआरएम ने बताया कि इंडियन रेलवे में किसी भी डिवीजन में तीन या चार लाइन नहीं है यहां काम ज्यादा है ट्रैफिक ज्यादा है इसीलिए रेल मंत्री ने भी यह भी कहा है की जरूरत पड़े तो चौथी पांचवी आठवीं लाइन तक बनाईये। किसी ट्रेन को रोकना नही है।
बहरहाल रेलवे ने यात्री सुधाओं के विस्तार और स्टेशनों में एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं देने का दावा करने लगी है।

