
सरस्वती ग्राम शिक्षा समिति के भवन में हुआ उद्घाटन कार्यक्रम
बिलासपुर। सरस्वती शिशु मंदिर ग्राम भारती के नए आचार्यों का प्रशिक्षण वर्ग सरस्वती ग्राम शिक्षा समिति भवन कोनी में शुरू हो गया है। मुख्य अतिथि सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिलासपुर के कुलपति प्रोफेसर डॉ अशोक चक्रवाल, मुख्य वक्ता ग्रामीण शिक्षा भारतीय के राष्ट्रीय सह संयोजक शशिकांत फड़के , ठाकुरराम कुर्रे , सरस्वती शिक्षा संस्थान के संगठन मंत्री डॉ देवनारायण साहू विशेष उपस्थिति में इस प्रशिक्षण का प्रारंभ किया गया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता शशिकांत फड़के ने अंग्रेजों के समय से भारत में चल रही लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति को लेकर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि पूर्व में शिक्षा इंग्लैंड केंद्रीय थी। विदेशी तंत्रों के द्वारा शिक्षा प्रणाली को भारत ने अपनाया। बाद में भारत में भारतीय संस्कृति और परंपराओं के अनुरूप संस्कार युक्त शिक्षा की आवश्यकता महसूस की गई। इस को ध्यान में रखते हुए सरस्वती शिशु मंदिर शुरू किए गए। संघ के शाखा में आने वाले स्वयंसेवक से चर्चा कर योजना बनाई गई। जो अपने आचरण से सीखते हैं। उसे आचार्य अथवा दीदी कहा जाता है। सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति अशोक चक्रवाल ने भारत की पुरातन गुरु शिष्य शिक्षा प्रणाली की महत्ता को लेकर अपने विचार प्रकट किए।
130 विद्यालय से 177 शिक्षक यहां प्रशिक्षण लेने आए हुए हैं। इस अवसर पर संतोष निषाद किशोर पाठक सहित अन्य कार्यकर्ता भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। प्रशिक्षण का समापन 21 मई को होगा।

