
बिलासपुर।प्रयास प्रकाशन के तत्वावधान में थावे विद्यापीठ गोपालगंज पटना बिहार द्वारा धर्मभूषण डॉ. श्रीधर गौरहा, डॉ. संगीता मनीष बनाफर एवं डॉ. आभा गुप्ता को विद्यावाचस्पति मानद् उपाधि प्राप्ति पर हॉटल सेंट्रल प्वाइंट के सभागार में भव्य सम्मान समारोह का आयोजन न्यायमूर्ति चंद्रभूषण बाजपेयी पूर्व न्यायाधीश उच्च न्यायालय के मुख्य आतिथ्य, डॉ. विनय कुमार पाठक कुलपति थावे विद्यापीठ की अध्यक्षता एवं डॉ. जंगबहादुर पाण्डेय समकुलपति, डॉ. बी.एस. दयालपति कुलसचिव, डॉ. गिरधारीलाल अग्रवाल उप कुलसचिव तथा वरिष्ठ आलोचक डॉ. जितेन्द्र कुमार सिंह ‘संजय’ के विशिष्ट आतिथ्य में संपन्न हुआ। मंगलाचरण व स्तवन के साथ दीप-प्रज्जवलन व सरस्वती माता के चित्र पर पूजन-अर्चन के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अतिथियों के स्वागत-सत्कार पश्चात् कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। सर्वप्रथम श्रीविद्या पर आधारित महत्वपूर्ण ग्रंथ-लेखन हेतु डॉ. श्रीधर गौरहा, श्रीमद्भागवत कथा पर समीक्षात्मक ग्रंथ पर डॉ. आभा गुप्ता और ‘विकलांग-विमर्शः एक अनुशीलन’ विषयक शोध संदर्भ ग्रंथ पर डॉ. संगीता मनीष बनाफर का स्मृति-चिन्ह, पुष्प-स्तवक एवं उपाधि पत्रक प्रदान कर तीनों विभूतियों का सम्मान अतिथियों द्वारा किया गया। तीनों वि़द्वानों ने ग्रंथ पर सार्थक विवेचना करके उपस्थित सदन को प्रभावित कर दिया कि यहाँ प्रतिभाओं की कमी नहीं है।
मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति चंद्रभूषण बाजपेयी ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में विद्यावाचस्पति से अलंकृत बिलासपुर की तीनों प्रतिभाओं की उपलब्धि की सराहना करते हुए उनके अभिनंदन की अभ्यर्थना की सराहना की। अध्यक्ष की आसंदी से उद्बोधित उद्गार के उपक्रम में डॉ. विनय कुमार पाठक नवनियुक्त कुलपति थावे विद्यापीठ ने कहा कि अकादमिक दृष्टि से हिंदी और उसकी लोकभाषाओं के विकास के समानांतर कला और समाज-सेवा को समर्पित यह विद्यापीठ पूरे देश में एक मानक स्थापित करेगा, ऐसी आशा की जानी चाहिए। विशिष्ट अतिथियों के उद्गार क्रम में डॉ. जे. बी. पाण्डेय सम कुलपति ने कहा कि विद्यापीठ लोकभाषाओं के संवर्द्धन के साथ-साथ राजभाषा हिंदी के विकास के लिए भी कृत संकल्पित है। हिन्दी केवल भारत की राजभाषा ही नहीं अपितु भारत माँ की अस्मिता का बोधक है। यह कोटि-कोटि कंठों की भाषा है। कुलसचिव डॉ. बी.एस. दयालपति ने थावे विद्यापीठ की स्थापना के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला और कहा कि विद्यापीठ की स्थापना कला, साहित्य और संस्कृति के संवर्द्धन के लिए की गई है तथा विद्यापीठ द्वारा दी जाने वाली मानद् उपाधियों के महत्व को रेखांकित किया। डॉ. जितेन्द्र कुमार सिंह ‘संजय’ ने विद्यावाचस्पति प्राप्त तीनों विभूतियों की सराहना करते हुए उन्हें शुभकामनाएँ दी, कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. राघवेन्द्र दुबे व डॉ. सौम्या गुप्ता ने एवं आभार डॉ. गिरधारीलाल अग्रवाल उपकुलसचिव थावे विद्यापीठ ने किया। इस अवसर पर विशेष रुप से डॉ. विवेक तिवारी, सनत तिवारी, अंजनी कुमार तिवारी, मनीष बनाफर, राजेश सोनार, पूर्णिमा तिवारी, बृजेश सिंह, सुखेंद्र श्रीवास्तव, रामनिहोरा राजपुत, दीनदयाल यादव, धर्मवीर गुप्ता, शिवानी गुप्ता, योगेश जाडिया, बालमुकुंद श्रीवास, डा नीरज अग्रवाल, नीलम तिवारी, प्रदीप निर्णेजक, डा. अर्चना शर्मा, महेंद्र साहू, कुमार संतोष शर्मा, पी के द्विवेदी, असरफी लाल सोनी, सुनील दत्त मिश्रा, बालगोविंद अग्रवाल, एवं नगर के प्रबुद्धजन, डा चंद्रशेखर यादव, साहित्यप्रेमी उपस्थित थे।


