
बिलासपुर। बोर्ड कक्षाओं के रिवैल्युएशन के रिजल्ट 3 जुलाई गुरु पूर्णिमा जारी किए गए। अपने परीक्षा परिणाम से असंतुष्ट छात्र छात्राओं को पुनर्मूल्यांकन का परिणाम जारी होने के बाद संतुष्टि मिली। जिस बात की आशंका जाहिर की जा रही थी वह सही साबित हुई और मूल्यांकन में भारी गलतियांइस रिजल्ट के आने के बाद प्रमाणित हुई हैं।
बोर्ड की पुनर्मूल्यांकन व्यवस्था के प्रति अभिभावकों ने संतोष जाहिर किया है। इस साल बोर्ड परीक्षाओं का रिजल्ट जारी होने के बाद मेरिट लिस्ट में आरत आत्मानंद सरकारी स्कूल के छात्र छात्राओं का बोलबाला रहा। प्राइवेट स्कूलों के अधिकतर मेधावी रिजल्ट घोषित होते ही निराश हुए थे क्योंकि इन होनहार छात्र छात्राओं को अपने परीक्षा परिणाम में जितने प्राप्तांक अपेक्षित थे। उससे बहुत कम प्राप्तांक मिले थे। माशिमं ने रिजल्ट से असंतुष्ट छात्र छात्राओं को रिवैल्युएशन का ऑप्शन दिया था। सरस्वती शिशु मंदिर तिलकनगर के छात्र छात्राओं ने बड़ी संख्या में संबंधित विषयों का पुनर्मूल्यांकन कराया। रिजल्ट आने के बाद अप्रत्याशित ढंग से इन बच्चों के विभिन्न विषयों के अंतर्गत प्राप्त अंकों में बढ़ोतरी हुई है। रिवॉल्यूशन का रिजल्ट देख स्टूडेंट्स और पैरेंट्स खुशी से झूम उठे हैं। उनका कहना है कि अब उनके बच्चों के साथ न्याय हुआ है।
वेलवर पर बनाते हैं दबाव – बोर्ड परीक्षाओं का मूल्यांकन करते समय शिक्षकों पर कम समय में अधिक से अधिक कॉपी जांचने के लिए दबाव बनाया जाता है। जो नहीं होना चाहिए।इस साल बोर्ड परीक्षाओं का मूल्यांकन करने वाले शिक्षकों की कमीं रही। जिसकी वजह से मूल्यांकन करने वाले शिक्षकों पर अधिकाधिक कॉपियां कम से कम समय में मूल्यांकन करने का प्रेशर रहता है। जल्दी रिजल्ट घोषित करने के लिए मूल्यांकन की हड़बड़ी में गलत मूल्यांकन की संभावना बढ़ जाती है। इस बार भी गलत मूल्यांकन की सैकड़ों शिकायत सामने आई थी। इसके लिए शिक्षकों को दोषी ठहराते हुए माशिमं नियम का हवाला देकर संबंधित शिक्षकों को मूल्यांकन कार्य से अलग कर देता है। लेकिन मूल्यांकन केंद्र तक सभी संबंधित शिक्षक पहुंचे इसके लिए मूल्यांकन कर्ताओं की समस्याओं पर अपेक्षित रुप से ध्यान नहीं दिया गया। माशिमं को चाहिए कि वे बोर्ड परीक्षा में मूल्यांकन की व्यवस्था को विश्वसनीय और पारदर्शी बनाने के लिए प्रयास करें जिससे कि रिजल्ट की घोषणा होते ही साथ अपने प्राप्त अंको को लेकर छात्र-छात्राओं को किसी प्रकार की आशंका या शिकायत ही ना रहे। पुनर्मूल्यांकन का फॉर्म भरने के लिए काफी राशि खर्च करनी पड़ती है। हालांकि इस वर्ष ज्यादातर परीक्षार्थियों के रिजल्ट में पुनर्मूल्यांकन के बाद अपेक्षित वृद्धि हुई है लेकिन फिर भी इस तरह की परिस्थितियां निर्मित ना हो ऐसा अभिभावक संस्कार श्रीवास्तव का कहना है।
_एक स्टूडेंट ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि दसवीं की परीक्षा में उसको गणित में 76 अंक मिले थे। रिजल्ट से असंतुष्ट होने पर उसने रिवैल्युएशन के लिए अप्लाई किया। उसको यह अंदेशा हो गया है कि उसके साथ अन्याय हुआ है। गलत मूल्यांकन किया गया है। उसने रिवैल्युएशन के लिए अप्लाई किया। अब उसके 22 अंक बढ़े हैं। गणित में 98 अंक हो गए हैं। इसी अनुपात में प्रतिशत भी बढ़ गया है। दुर्भाग्य ना किया है कि गरीब मेधावी बच्चों ने पैसे की कमी के कारण रिवैल नहीं कराया है यदि इसके लिए पैसे नहीं लिए जाते तो उनके साथ भी आज न्याय हो चुका होता_

