छत्तीसगढ़ के वन बल प्रमुख व प्रधान मुख्य वन संरक्षक वी.श्रीनिवास राव की पदोन्नति पर सवाल खड़े हो गए हैं ।राज्य सरकार ने पहले उन्हें पीसीएफ की जिम्मेदारी सौंपी और कुछ माह बाद ही हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स के पद पर पदोन्नति कर दिया। लेकिन अब यह बात सामने आई हैं कि वी.श्रीनिवास राव के पास हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स के लिए जरूरी न्यूनतम योग्यता नहीं हैं ।इस खुलासे के बाद इतने महत्वपूर्ण पद पर पदोन्नति में नियमों को दरकिनार किए जाने से वन विभाग के अफसर हैरान हैं ।इसको लेकर सवाल भी खड़े हो रहे हैं इस मामले में कई अफसर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की भी तैयारी कर रहे हैं। हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स का वेतनमान मुख्य सचिव और डीजीपी के समकक्ष होता हैं। डीओपीटी के नियमों से यह स्पष्ट हैं कि हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स को न्यूनतम 1 साल P.C.C.F. के पद पर होना चाहिए ,लेकिन भारतीय वन सेवा के 1990 बैच के अधिकारी
वी. श्रीनिवास राव की पदोन्नति के मामले में इस नियम को दरकिनार कर दिया गया या अनजाने में चुक हुई हैं इसे लेकर प्रशासनिक हल्को में तरह-तरह की चर्चाएं हैं ।सूत्रों का कहना हैं कि जिम्मेदार पद पर पदोन्नति से पहले तमाम नियमों को खंगाला जाता हैं।लेकिन इसमें ऐसा नहीं किया गया। बहर हाल पूरे मामले को लेकर आई.एफ.एस. अफसररो में नाराजगी देखी जा सकती हैं।वी.श्रीनिवास राव से सीनियर ऑफिसर अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं ।जानकार सूत्रों को कहना है कि एक वर्ष से ज्यादा पीसीसीएफ पद पर रखने वाले एकमात्र अफसर सुधीर अग्रवाल हैं बाकी किसी भी आईएफएस को P.C.C.F.पद पर 1 वर्ष भी नहीं हुआ हैं।क्या शासन अपने स्तर पर सुधारेगा गलती।
वी.श्रीनिवास राव वैसे भी आधा दर्जन P.C.C.F में सबसे जूनियर हैं इसके बावजूद उन्हें पहले P.C.C.F.का प्रभाव दिया गया इस बात की भी महकमे में चर्चा थी । कुछ माह बाद ही उन्हें रेगुलर पीसीसीएफ बनाया गया और अब उन्हें हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स के पद पर पदोन्नति दे दी गई ।
डीओपीटी के 20 सितंबर 2022 को जारी सर्कुलर में पदोन्नति के लिए जरूरी न्यूनतम योग्यता स्पष्ट की गई हैं जिसमें स्पष्ट कहा गया हैं कि पदोन्नति होने वाले अफसर को पीसीसीएफ पद पर 1 वर्ष तक पदस्थ होना जरूरी हैं।इस मामले के सामने आने के बाद यह सवाल भी उठाया जा रहा हैं कि क्या शासन अपने स्तर ही इस चूक में सुधार करेगा या मामले के कोर्ट जाने का इंतजार करेगा।


