
बिलासपुर।अखंड भारत सोने के चिड़िया कहे जाने वाले देश के धान के कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ प्रदेश के न्याय धनी बिलासपुर के मस्तूरी जनपद पंचायत के अधीन एकमात्र नगर पंचायत मल्हार अपने परिचय का मोहताज नहीं हैं यह एक पर्यटन स्थल पुरातत्व नगरी नगरी के रूप में स्थापित है भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मंडल के अधीन मेला चौक स्थित कल्प केदारनाथ भगवान पातालेश्वर महादेव है जिनके नाम पर महाशिवरात्रि पर 15 दिन का मेला लगता है शिवजी स्वयंभू पाताल से निकला है गोमुख आकार का है सफेद बलुआ पत्थर से निर्मित है मंदिर का खुदाई सन 1935 में हुआ था तब से आज तक उस में अनवरत रूप से जल चढ़ते आ रहा है जल कहां जाता है पता नहीं चला है छत का ढलाई 1960 में हैदराबाद की टीम ने किया था शिवलिंग सन 1998 में अचानक नीचे समाने लगा फिर विभाग के अधिकारीगण इंजीनियर के साथ आकर उसे निकालकर रेत गिट्टी सीमेंट मिलाकर फिर से जमाया यह नगरी तंत्र मंत्र यंत्र को तांत्रिकों तथ्यों का तपोवन पूर्व काल से ही रहा है यहां पर भी पार्वती परिवार के विभिन्न मुद्राओं में सैकड़ों मूर्तियां हैं पातालेश्वर महादेव में उनके शिवलिंग के मध्य से कई बार अपने आप जल की धारा अंदर निकला है जिसे लोग गंगाजल जैसे धार्मिक कार्य पूजा-पाठ में उपयोग करते हैं मंदिर 10 वीं शताब्दी के आसपास है जिसे रतनपुर गढ़ के शासक कलचुरी कालीन मूर्तियों को स्थापित किया है मंदिर के गर्भ गृह मे जाने हेतु 9 सीढ़ियां नीचे उतरना पड़ता है मंदिर के भीतर श्री पार्वती कार्तिक गणेश नदी गंगा यमुना नदी भक्तगण पुष्पदंत सुंदर मूर्तियां दीवारों पर अंकित है सावन और महाशिवरात्रि में विशेष पूजा अर्चना भीड़ रहता है।
नगर के लेखक राजेश पांडे ने बताया कि देश में स्थित 12 ज्योतिर्लिंग में केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का आकार इस शिवलिंग का है इसलिए इस शिवलिंग को कल्प केदारनाथ बदल स्वर महादेव कहा जाता है।

