
बिलासपुर। समन्वय साहित्य परिवार बिलासपुर द्वारा आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह के मुख्य आसंदी से बोलते हुए वरिष्ठ भाषा विद,साहित्यकार डॉ चितरंजन कर ने कहा कि मौन कविता रचती है शब्द नहीं।आसानी से प्राप्त चीजें आसानी से निकल भी जाती है।यदि कई दिन मेहनत करके अनेकों पुस्तकों का अध्ययन करने के बाद कविता लिखी जाती है तो वह कविता अमर हो जाती है।कहानी श्रुति परंपराओं से जन्म लेता है और हर रचना एक पाठ मांगती है।श्रीमती विमला देवांगन के पुस्तक काव्य संग्रह लम्हें और कहानी संग्रह का विमोचन अतिथियों के द्वारा किया गया।अध्यक्षता करते हुए प्रांतीय अध्यक्ष डॉ देवधर महंत ने कहा कि जिनको लिखना चाहिए वे नहीं लिख रहे हैं, जिनको नहीं लिखना चाहिए वे खूब लिख रहे हैं।100 किताब पढ़िए फिर कविता लिखिए।विमला देवांगन जी को लिखते रहना चाहिए।विशिष्ट अतिथि बिलासा कला मंच के संस्थापक डॉ सोमनाथ यादव ने कहा कि श्रीमती देवांगन के दोनों पुस्तक की भाषा सरल,सहज है जो भावनात्मक रूप से पाठकों को जोड़ देती है।इनकी कहानियाँ पठनीय है।विशिष्ट अतिथि डॉ विजय कुमार सिन्हा ने भी अपने विचार रखे।बिलासपुर इकाई के अध्यक्ष डॉ जी डी पटेल ने स्वागत भाषण में समन्वय परिवार के बारे में बताते हुए आज के कार्यक्रम की भूमिका प्रस्तुत किया।दोनों पुस्तक के रचनाकार विमला देवांगन ने कहा कि वे बहुत समय से कविता और कहानी लिखते आ रही हैं पर प्रकाशित नहीं करा पाई थी,चाचा महेश श्रीवास जी के लगातार प्रोत्साहन और सहयोग से वे इन दोनों पुस्तकों को छपवा सकी जिसमें आप सबका स्नेह और आशीर्वाद पाकर अभिभूत हूँ।विमोचन समारोह में नगर के प्रमुख साहित्यकार व नागरिक उपस्थित रहे जिनमें राजेन्द्र मौर्य, डॉ सुधाकर बिबे,राघवेंद्र धर दीवान,बुधराम यादव,केवलकृष्ण पाठक,दिनेश्वर राव जाधव,महेंद्र साहू,आनंदप्रकाश गुप्त,डॉ सोमनाथ मुखर्जी, हरिश्चंद्र वाद्यकार, राजेश सोनार,विश्वनाथ राव,मनोहर दास मानिकपुरी,रामेश्वर गुप्ता, देवानंद दुबे,अश्विनी पांडे,रामकुमार श्रीवास,सत्येंद्र तिवारी,द्वारिका वैष्णव, सुब्रत रॉय, आर पी तिवारी, दुवा जी,इंदर जी,बालगोविंद अग्रवाल,डॉ उषा किरण बाजपेयी, डॉ सुनीता मिश्रा,मंजू यादव,सुषमा पाठक,पूर्णिमा तिवारी, श्रीकुमार पांडे,सुमित शर्मा सहित कई लोग उपस्थित रहे।कार्यक्रम का संचालन महेश श्रीवास ने और आभार प्रदर्शन सनत तिवारी ने किया।

